Home सक्सेस स्टो‍री Fish Farm: दिलचस्प है पद्मश्री सुल्तान सिंह की कहानी, 20 हजार में शुरू किया, आज करोड़ों में कमाई
सक्सेस स्टो‍री

Fish Farm: दिलचस्प है पद्मश्री सुल्तान सिंह की कहानी, 20 हजार में शुरू किया, आज करोड़ों में कमाई

पद्मश्री सुल्तान सिंह बताते हैं कि वह अब करीब 15 प्रजातियों की मछली का पालन कर रहे हैं और उनका बीज भी अपनी हैचरी में तैयार कर किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं.
पद्मश्री से सम्मानित करनाल के मछली पालक सुल्तान सिंह.

नई दिल्ली. मछली पालन एक फायदे का सौदा है. इसे करके लोग लाखों करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. मछली पालन को सरकार बढ़ावा भी दे रही है. मछली पालन में अगर कुछ तकनीकों का सहारा लिया जाए और पूरी ट्रेनिंग हो तो फिर इससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल किया जा सकता है. एक प्रगतिशील मछली पालक हरियाणा के करनाल जिले के गांव बुटाना के सुल्तान सिंह है जो चार दशक से ऊपर से मछली पालन कर रहे हैं और देश विदेशों में मछली पालन में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. आज हम आपको उनके दिलचस्प सफर की जानकारी दे रहे हैं. कैसे उन्होंने काम शुरू किया और आज पद्मश्री तक सम्मानित हो चुके हैं. देश में उनकी पहचान एक अच्छे मछली पालक के रूप में होती है. सुल्तान सिंह की कहानी काफी दिलचस्प है.

सुल्तान सिंह ने 1982 में ग्राम पंचायत का तालाब ठेके पर लेकर बीस हजार से मछली पालन शुरू किया था, जिसमें उनको पहले बार ही एक लाख 62000 प्राप्त हुए थे. तो उन्होंने अपनी पढ़ाई करते ही मछली पालन को ही अपना व्यवसाय चुना जिसके चलते उन्होंने अपने पुश्तैनी जमीन पर मछली पालन की सोची लेकिन उनके पिताजी ने उनको मना कर दिया. क्योंकि उसे समय मछली पालन को हरियाणा में कोई इतना नहीं जानता था और उसने कहा कि तुम हमें मछली पालन करके बर्बाद कर दोगे लेकिन उन्होंने परिवार की नाराजगी के बाद मछली पालन शुरू की और आज वह देश के नंबर वन मछली पालक बने हुए हैं.

करीब 15 प्रजातियों की करते हैं मछली पालन: पद्मश्री सुल्तान सिंह बताते हैं कि वह अब करीब 15 प्रजातियों की मछली का पालन कर रहे हैं और उनका बीज भी अपनी हैचरी में तैयार कर किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने हरियाणा और उत्तरी भारत में सबसे पहले मछली पालन की नई तकनीक आरएएस को लगाया था. यह भी मछली पालन में नई तकनीक थी, जिसमें एक एकड़ से 20 एकड़ की खेती इस विधि से की जाती है. लेकिन यह तकनीक काफी महंगी होती थी. जिस पर करीब एक करोड़ रुपए का खर्च आता है. ऐसे में हर मछली पालन करने वाला व्यक्ति इसको लगाने में समर्थ नहीं था. इसको बहुत ही काम किसानों ने लगाया हुआ है.

मछली पालन में नए-नए रिसर्च करने के चलते भारत के है नंबर वन मछली पालक, पदम श्री से भी नवाजे गए: पद्मश्री सुल्तान सिंह बताते हैं कि वह शुरुआती समय से ही मछली पालन को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए इसमें नए-नए प्रयोग करते आ रहे हैं. जिसके चलते वह भारत ही नहीं विदेशों में भी काफी जाने जाते हैं. मछली पालन में अच्छा काम करने के चलते उनको भारत सरकार के द्वारा जगजीवन राम किस पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. शिक्षा पुरस्कार कृषि के क्षेत्र में अलग-अलग खेती पर काम करने वाले नंबर वन किस को मिलता है. जो मछली पालन में सुल्तान सिंह को दिया गया था. उसके अच्छे काम को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा उनको 2019 में पद्म श्री से नवाजा गया था.

अब तक मिल चुके हैं 150 से अधिक सम्मानः देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा उनको यह पुरस्कार दिया गया था. इसके साथ-साथ वह देश के अन्य दूसरे राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुके हैं. इसके साथ-साथ उनका हरियाणा भारत के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से करीब 150 से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं. हरियाणा सरकार के द्वारा उनका सर्वश्रेष्ठ मछली पालन पुरस्कार भी दिया जा चुका है. उनकी इस उपलब्धि के चलते उनकी जीवनी मार्क्विस हूज़ हू इन अमेरिका में प्रकाशित हुई थी, जिसमें लगभग हर प्रमुख क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख व्यक्तियों की 100,000 से अधिक प्रोफाइल शामिल हैं. जिसके चलते अब उनको मछली पालन का सुल्तान कहा जाता है.

25000 से ज्यादा लोगों को दे चुके प्रशिक्षण: मछली पालन के सुल्तान कहे जाने वाले पद्मश्री सुल्तान सिंह पिछले चार दशक से मछली पालन को नई बुलंदी तक ले जाने के लिए अच्छा प्रयास कर रहे हैं. वह अपने द्वारा तैयार की गई रिसर्च को मछली पालन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उनके पास हर साल हजारों लोग प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं, जिनको वह फ्री में प्रशिक्षण देते हैं. अभी तक वह 25 से 30 हजार लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं इतना ही नहीं वह प्रशिक्षण देने के लिए भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ विदेश में भी जाते हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

उत्तर प्रदेश की नदियों में सर्वाधिक डॉल्फिन पाई गईं. उत्तर प्रदेश में 2397 डॉल्फिन पाई गईं. वहीं बिहार में 2220 डॉल्फिन, पश्चिम बंगाल में 815 और असम में 635 डॉल्फिन पाईं गईं हैं.
सक्सेस स्टो‍री

यूपी में सबसे अधिक डॉल्फिन… रंग लाई योगी सरकार की मेहनत, जानें अब कितनी है संख्या

उत्तर प्रदेश की नदियों में सर्वाधिक डॉल्फिन पाई गईं. उत्तर प्रदेश में...