नई दिल्ली. शहर हो या देहात सभी जगह अब पशुपालन किया जा रहा है. आमतौर पर बकरे-बकरी का पालन पहले मीट कारोबार के लिए किया जाता था. लेकिन अब इसके दूध का भी बड़ी मात्रा में कारोबार किया जा रहा है. पिछले कुछ समय से डेंगू जैसी बीमारी के बाद बकरियों के दूध की वैल्यू का पता चला है, जिसके बाद से इसके दूध का सेवन करने वालों की संख्या में भी इजफा हुआ है. बकरी पालन किसानों के लिए बहुत ज्यादा फायदा पहुंचाने वाला सौदा है, यह बात उन्हें भी मालूम हो गई है. अब बकरी पालन को कर जमकर इससे लाभ लिया जा रहा है. देश में राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां पर पशुपालन काफी अच्छा किया जा रहा है.
देश में लघु किसान से लेकर बड़े किसान भी बकरी पालन में हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है, अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. वहीं जखराना बकरी की बात की जाए तो इसे पालकर तीन तरह से फायदा उठाया जा सकता है. आइये जानते हैं जखराना नस्ल के बारे में.
बच्चों से होती है अच्छी कमाई: गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरी की पहचान उसके दूध मीट और बच्चे की देने की क्षमता से की जाती है. जबकि जखराना एक ऐसी नस्ल है, जिसके बकरा और बकरी का वजन 25 से 30 किलो तक हो जाता है. इसके अलावा इस नस्ल की बकरी रोजाना एक एक से डेढ़ लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. एक बकरी ने 90 दिन में 172 लीटर तक दूध दिया था. यह नस्ल एक यील्ड में 5 महीने तक दूध देने की क्षमता रखती है. वहीं बच्चे देने की क्षमता की बात की जाए तो 60 फ़ीसदी जकराना बकरी दो या तीन बच्चे देती है. किसी दूसरी नस्ल की बकरी में तीन खूबी एक साथ नहीं मिल सकती.
अलवर में पाई जाती है ये नस्ल: जखराना नस्ल की बकरियां राजस्थान के अलवर जिले में पाई जाती हैं. इस नस्ल की बकरियां बड़े आकार की होती हैं. उनके शरीर का रंग काला मुंह और कान पर सफेद धब्बे भी होते हैं. उनके सींग मध्यम, नुकीले ऊपर से पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं. कान चपटे और मीडियम साइज के होते हैं. जखराना बकरी के वजन की बात की जाए तो अच्छी देखभाल करने पर बकरी का वजन 45 किलोग्राम तक हो जाता है. जबकि बकरे का 58 किलोग्राम तक. मीट और दूध दोनों के लिए इस बकरी का कारोबार किया जाता है और ये फायदा पहुंचा सकती हैं.
बकरियों को ये चीजें हैं पसंद: जखराना बकरे-बकरी भोजन में कड़वे, मीठे, नमकीन और स्वाद में खट्टी चीजों को भी खा लेती है. स्वाद के साथ फलीदार भोजन जैसे लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि खाते हैं. मुख्य रूप से यह चार खाना पसंद करते हैं, जो ऊर्जा और उच्च प्रोटीन देते हैं. आमतौर पर इनका भोजन खराब हो जाता है, क्योंकि इनमें भोजन के स्थान पर पेशाब कर देने की आदत होती है. इसलिए भोजन को नष्ट होने से बचने के लिए विशेष प्रकार का भोजन स्थाल बनाने की जरूरत होती है.
Leave a comment