नई दिल्ली. भारत में मीट के कारोबार में अवसरों की कमी नहीं है और यह बात ढकी-छुपी भी नहीं है. वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मीट की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है. इसके चलते यहां से मीट के निर्यात में तेजी से वृद्धि हुई है. आने वाले समय में मीट की मांग और ज्यादा बढ़ने का अनुमान है. इसको देखते हुए मीट के प्रोडक्शन पर भी सरकार का फोकस है. मीट सेक्टर में चुनौतियों और नए अवसरों को देखते हुए भारतीय मांस उद्योग के विकास के लिए कई रणनीतियां तैयार की गई हैं. ताकि प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सके और इसका फायदा हर तबके के लोगों को मिले.
इसको लेकर रिसर्च भी शुरू किया जाना है. अगले 40 साल के लिए कई प्रोग्राम बनाए गए हैं. आइए यहां जानते हैं कि क्या है प्रोग्राम और कैसे इसको लागू करके मीट का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए.
यहां पढ़ें डिटेल
- भेड़, बकरी और अन्य जानवरों से जैविक मांस उत्पादन के लिए प्रोटोकॉल विकसित होगा.
- मीट प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए मुर्गी और नर भैंस बछड़े के मीट प्रोडक्शन बढ़ावा दिया जाएगा.
- भारत में मीट कारोबार के लिए जिंदा पशुओं, शवों और मांस के लिए व्यापक ग्रेडिंग सिस्टम तैयार होगा.
- विभिन्न पशुओं के मीट के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं के लिए परिवहन प्रोटोकॉल विकसित होगा.
- पशुओं के वध, मांस और उत्पादन, उपज, मांस खुदरा बिक्री आदि पर देशभर में सर्वे होगा.
- वध नीतियों, नर भैंस बछड़ों के पालन और मांस के निर्यात की समीक्षा होगी.
- टक्नोलॉजी के जरिए स्वच्छ मीट प्रोडक्शन पर भी काम होगा.
- अलग-अलग क्षमताओं के साथ मॉडल स्लाटर हाउस तैयार किया जाएगा.
- साफ मांस प्रोडक्शन के लिए HACCP, GMP और मानक संचालन प्रोटोकॉल (SOP) का विकास होगा.
- मीट के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं के मानवीय वध के लिए तरीकों को अपनाया जाएगा.
- छोटे पैमाने पर खून उपयोग के लिए आसान टेक्नोलॉजी का विकास और मूल्यांकन होगा.
- वेस्ट को खत्म करने के लिए बेहतर तरीके विकसित होंगे.
- स्वच्छ और हरित वातावरण के लिए रेंडरिंग और वेस्ट उपचार सुविधा के साथ नगर पालिकाओं और उद्यमियों की भागीदारी के साथ मॉडल बूचड़खानों की स्थापना होगी.
- वध और ड्रेसिंग संचालन और मीट प्रोसेसिंग में पानी के उपयोग को कम करने के लिए रणनीति बनेगी.
- साफ मीट उत्पादन में रोबोटिक टेक्नोलॉजी का विकास और इस्तेमाल होगा.
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