नई दिल्ली. मुर्गी पालन में इस बात का ध्यान देना पड़ता है कि मुर्गियों को बीमार न हों. मुर्गियां अगर बीमारियां हो जाती हैं तो फिर इससे कई तरह दिक्कते उन्हें होने लगती हैं. ठंड के दौरान मुर्गियों को सर्दी जुकाम होने से कई नुकसान हो जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि सर्दी जुकाम होने से अंडों का उत्पादन भी कम हो जाता है. इससे मुर्गियों को भूख नहीं लगती है. मुर्गियों को सांस लेने में भी दिक्कत होती है. जबकि इस बीमारी में मुर्गियों को खांसी भी आती है. आंखों और नाक से स्राव भी बहता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली कहते हैं कि जब भी मुर्गियों सर्दी जुकाम होता है तो उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होती है. गुदगुदा जैसी आवाज भी आती है. इसलिए जरूरी है कि वक्त पर सर्दी जुकाम का इलाज कर दिया जाए, नहीं तो मामला और ज्यादा गंभीर हो सकता है.
इस तरह फैलती है ये बीमारी
डॉ. अली के मुताबिक ठंड के समय जब कभी बारिश होती है, बारिश में भीगने कारण मुर्गियों को ये बीमारी हो जाती है. वहीं खुले में बाहर रहने पर भी मुर्गियों को इस बीमारी के होने का खतरा रहता है. इसलिए खुले में मुर्गियों को नहीं जाने देना चाहिए. खासकर चूजों को यह बीमारी ज्यादा हो जाती है. मुर्गियों का सुस्त रहना, कलगी में नीलापन, दाना-पानी कम खाना एवं चोंच से पतला स्त्राव का बहना भी इसके प्रमुख लक्षण हैं. चूजे और मुर्गियां पास पास आकर झुंड बना लेते है इससे यह बीमारी और भी फैलती है.
क्या है इस बीमारी का उपचार
डॉ. अली के मुताबिक अटैट्रासाईक्लीन की 1/4 टैबलेट सुबह शाम खिलाएं. सल्फाडिमीनन (16 प्रतिशत घोल) 10 मिली. 1 लीटर पानी में मिलाकर पिलाएं. इससे जल्द से जल्द मुर्गियों को आराम मिल जाएगा.
रोकथाम कैसी की जाए
- मुर्गियों को रात में खुला नही छोड़ना चाहिए. सस्ता एवं सुलभ मुर्गी घर बनाकर ही मुर्गी पालना चाहिए। अन्य लाभ के अतिरिक्त इस बीमारी की रोकथाम भी इससे की जा सकती है.
- मुर्गियों के ठंड से बचाना चाहिए. आवश्यकता होने पर 60 या 100 वॉट का बल्ब मुर्गी घर में जलाना चाहिए. इससे कमरा गर्म रहता है.
- वहीं टेट्रासाइक्लीन दवा को इस बीमारी की रोकथाम या तीव्रता को कम करने में उपयोग किया जा सकता है. ये दवा मुर्गियों को हर 3 माह में एक बार 3 दिन तक लगातार पिलाना चाहिए.
- चूजों का इलाज बल्ब या अंगार भरे कोयले का उपयोग करने से भी किया जा सकता है.
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