Home पोल्ट्री Poultry Disease: ये बीमारी घटा देती है अंडों का उत्पादन, लक्षण और इलाज के बारे में जानें यहां
पोल्ट्री

Poultry Disease: ये बीमारी घटा देती है अंडों का उत्पादन, लक्षण और इलाज के बारे में जानें यहां

poultry farming
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मुर्गियों में जीवाणु की वजह से इन्फैक्शीयस कोराइजा नाम की बीमारी हो जाती है. राजस्थान के पशुपालन विभाग (Department of Animal Husbandry of Rajasthan) की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ये मुर्गियों की सांस लेने के सिस्टम पर हमला करती है. इससे मुर्गियों को परेशानी होती है. वहीं उनके उत्पादन में कमी भी हो जाती है. अगर उत्पादन कम होता है तो पोल्ट्री फा​र्मिंग के काम में नुकसान होने लग जाता है. यह मुर्गियों की एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें आमतौर पर 12-20 सप्ताह तक के पक्षी अधिक प्रभावित होते हैं. इसमें मुर्गियां अधिक संख्या में रोग ग्रसित होती हैं, मृत्यु दर 50 फीसद तक तक हो सकती है.

बीमारी का क्या है कारण
यह रोग हीमोफिलिस-पेरागेलिनेरम नामक जीवाणु द्वारा होता है.

कैसे फैल जाती है ये बीमारी
ये रोग ग्रसित मुर्गियों के सम्पर्क द्वारा अन्य मुर्गियों में बहुत तेजी के साथ फैलता है.

ये बीमारी हैल्दी मुर्गियों में खाने-पीने के बर्तनों द्वारा भी फैलती है.

तेज हवा, नमी, टीकाकरण, स्थान परिवर्तन, पेट में कीड़े आदि कारणों से तनाव (स्ट्रेस) होने के कारण कोराइजा रोग हो जाता है.

विटामिन ‘ए’ की कमी से भी यह रोग हो सकता है.

लक्षण क्या हैं इस बीमारी के
इस बीमारी छींक आना तथा नाक के छेदों का बन्द होना आम है.

नाक पर बदबूदार चिकना तरल पदार्थ पाया जाता है, जो नाक के चारों ओर जमा होकर सूख जाता है.

आंखों में भी पीले रंग का तरल जम जाता है, जिससे आंखों के चारों ओर सूजन आ जाती है. यह सूजन कलंगी तथा गलकम्बल तक फैल जाती है.

सांस नली में तथा तालू पर भी गाढ़ा पदार्थ जमा हो जाने के कारण मुर्गियों को साँस लेने में बड़ा कष्ट होता है.

इसमें मुर्गियां चोंच खोलकर सांस लेती हैं. वहीं एक विशेष प्रकार की आवाज करती हैं.

अगर लेयर मुर्गियां हैं और अंडा उत्पादन कम हो जाए तो ये भी इस बीमारी का एक लक्षण है.

वैक्सीनेशन कब करना चाहिए
कोराइजा का पहला टीका लेयर पक्षियों में ग्रोवर मुर्गी को केज में भेजने से पहले लगाना चाहिये.

रोग प्रकोप होने वाले क्षेत्र में 12 सप्ताह की उम्र पर वैक्सीन लगाया जाता है, जिसे 4-5 सप्ताह पश्चात् पुनः लगाना चाहिये.

इलाज क्या है इस बीमारी का
पोल्ट्री फार्म पर रोग की जानकारी होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर निदान कराए. पशु चिकित्सक की सलाह पर एन्टीबायोटिक्स का उपयोग कर रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

poultry meat production in india
पोल्ट्री

Poultry Disease News: मुर्गियों को ज्वाइंट पेन और लंगड़ापन से बचाने के लिए करें ये उपाय

पोल्ट्री फार्मर ड्रिंकर और फीडर की हाइट को एडजेस्ट नहीं करते हैं....

बीमार मुर्गी का वजन कम हो जाता है और हर समय उदास रहती है.
पोल्ट्री

Poultry Disease: चूजों पर ज्यादा अटैक करती है ये बीमारी, इम्युनिटी को पहुंचाती है नुकसान

इसलिए नुकसान का खतरा ज्यादा रहता है. यह भयंकर छूतदार बीमारी है...