नई दिल्ली. पोल्ट्री एक्सपो से पहले नॉलेज डे के मौके पर आईबी ग्रुप के एमडी और ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर संगठन के प्रेसिडेंट बहादुर अली ने कहा कि पोल्ट्री के अलावा दूसरे सेक्टर की सरकार मदद करती है. उनकी बात सुनती है लेकिन पोल्ट्री सेक्टर को ना तो सरकार की मदद मिलती है ना ही उनकी बात सुनी जाती है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह भी खुद पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े लोग ही हैं. पोल्ट्री में देश भर में कई संगठन हैं. सब अपने-अपने स्तर से सरकार से मांग करते हैं और उन तक अपनी बात पहुंचाते हैं. जिस वजह से सरकारें भी असमंजस की स्थिति में पहुंच जाती है और समझ नहीं पाती कि किसकी मदद करें और किसकी बात सुनें. उन्होंने सभी को एक प्लेटफार्म पर आने की अपील की.
उन्होंने कहा कि पोल्ट्री सेक्टर के लिए एक मंच होना बेहद ही जरूरी है. पिछले काफी वक्त से सेक्टर मक्का की परेशानी से जूझ रहा है. बावजूद इसके इंपोर्ट करने की इजाजत सरकार की ओर से नहीं मिल रही है. हर संगठन ने अपने स्तर से इसकी मांग की है लेकिन सरकार ने किसी की भी बात पर तवज्जो नहीं दी है. उन्होंने कहा कि अगर पोल्ट्री मंच एक होता तो शायद अब तक यह मांग पूरी हो चुकी होती.
खतरे में है 10 करोड़ लोगों की सुरक्षा
उन्होंने कहा कि आज अन्य सेक्टर में बिजनेस करने के लिए नियम कानून हैं लेकिन पोल्ट्री के साथ ऐसा नहीं है. यहां हर कोई अपनी मर्जी से बाजार में माल बेच रहा है. इस वजह से पोल्ट्री कारोबार से जुड़े 10 करोड़ लोगों की सुरक्षा खतरे में है. पोल्ट्री की कोई हिस्सेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि फीड चिक्स के लगातार रेट बढ़ रहे हैं लेकिन इस पर कोई भी बात नहीं हो रही है. जबकि फिशरीज और डेयरी पर लगातार सरकार नजर बनाए हुए है. जबकि सरकार इससे जुड़े लोगों की मदद भी कर रही है. ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री सेक्टर में कोई कुछ काम नहीं करता लेकिन सरकार को ये पता नहीं चल पाता और हम कोई आंकड़ा भी सरकार को नहीं दे पाते हैं.
महिलाओं को जोड़ने की है जरूरत
पोल्ट्री एक्सपो के नॉलेज डे के मौके पर बहादुर अली ने यह भी कहा कि दूसरे बहुत सारे सेक्टर सरकारी योजनाओं से जुड़कर महिलाओं को मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं. जबकि पोल्ट्री सेक्टर के पास ऐसा कोई भी प्लान नहीं है जिसे महिलाओं को जोड़कर सेक्टर को मजबूत किया जा सके और महिलाओं को भी सशक्त बनाया जा सके. लखपति दीदी से जुड़कर महिलाओं के लिए पोल्ट्री फार्म स्ट्रक्चर तैयार करवा सकते हैं. यह सब होने के बाद हम इंटीग्रेटेड पोल्ट्री फार्मिंग के तहत हजार चूजे देकर पोल्ट्री फार्मिंग के लिए बढ़ावा दे सकते हैं. केंद्र और राज्य सरकार लगातार ऐसी बहुत सी योजनाएं चलाती है.
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