नई दिल्ली. भारत के प्रमुख पोल्ट्री पशु चिकित्सा पेशेवरों के नेटवर्क वीआईपी की ओर से पिछले दिनों चंडीगढ़ में अपना दूसरा नेशनल सिम्पोजियम आयोजित किया गया. इनावेशन, एकीकरण और समृद्धि” विषय पर आधारित, इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में 580 से अधिक हितधारक शामिल हुए. जहां सबसे ज्यादा पोल्ट्री सेक्टर में आने वाली चुनौतियों और इस सेक्टर की ग्रोथ में रुकावट नहीं रहे मुद्दों पर खूब चर्चा हुई. यहां मौजूद एक्सपर्ट ने कहा कि जहां एक ओर पोल्ट्री सेक्टर देश में करीब तीन लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा छू गया तो वहीं दूसरी ओर कई ब्रेकर हैं, जिनकी वजह से इस सेक्टर को आगे ले जाने में दिक्कतें आ रही हैं.
वीआईपी की ओर से आयोजित दूसरे नेशनल सिंपोजियम में एक्सपर्ट ने कहा कि पोल्ट्री को निशाना बनाने वालों की संख्या बहुत है. कहीं कुछ भी होता है तो पोल्ट्री की ओर इशारा कर दिया जाता है. बर्ड फ्लू से लेकर तमाम ऐसे मसले हैं, इसकी आड़ में पोल्ट्री को निशाना बनाया जाता है. इससे पोल्ट्री सेक्टर को नुकसान होता है. एक झटके में ही अंडा चिकन जैसे पोल्ट्री प्रोडक्ट की डिमांड बिल्कुल कम हो जाती है, जिससे रेट कम होता है और किसानों को भारी नुकसान होता है. एक्सपर्ट ने कहा कि बेवजह पोल्ट्री सेक्टर को निशाना नहीं बनना चाहिए. जहां एक ओर बिना सरकारी मदद के पोल्ट्री सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है तो वहीं बिना वजह से निशाना बनाए जाने के चलते इसमें नुकसान भी हो रहा है.
मंत्री ने माना फैलाई जाती है अफवाह
हरियाणा के हायर एजुकेशन के कैबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा ने भी कहीं न कहीं पोल्ट्री सेक्टर के बढ़ने में आ रही अड़चनों की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि बहुत से पढ़े-लिखे लोग पोल्ट्री यानी अंडे और चिकन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं. जिसके चलते जिसके मुंह में जो भी आता है वह कुछ भी बोल देता है. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग अंडे को नॉनवेज कहते हैं. जबकि ऐसा नहीं है. कहा जाता है कि मुर्गों का वजन बढ़ाने के लिए उसे इंजेक्शन लगाया जाता है, लेकिन ये भी गलत है. कम जानकारी रखने वाले लोग कई बार इस तरह की बातों में फंस जाते हैं और अंडा चिकन जैसे प्रोटीन के सस्ते सोर्स से खुद को दूर कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के अंदर फैली गलतफहमियों को दूर करने में डॉक्टर अहम भूमिका निभा सकते हैं. डॉक्टर चाहें तो मरीजों को शुद्ध और सबसे सस्ते प्रोटीन के लिए अंडों को खाने की सलाह दे सकते हैं. जिससे इसकी डिमांड और खपत पड़ेगी.
मीडिया के सहयोग है जरूरत
एनिमल हसबेंडरी और एचओडी पोल्ट्री साइंस कॉलेज दुआसु मथुरा के जॉइंट कमिश्नर डॉ. पीके शुक्ला ने इस दौरान कहा कि बर्ड फ्लू के बारे में मीडिया में सही खबरें नहीं प्रसारित की जाती हैं. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जब भी बर्ड फ्लू का मामला सामने आता है, तब एक्सपर्ट से से बिना बात किए ही खबरें प्रसारित कर दी जाती हैं. जबकि एक्सपर्ट से बात करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मीडिया का सहयोग मिल जाए तो पोल्ट्री सेक्टर को बहुत आगे ले जाया जा सकता है. अगर सोशल मीडिया पर कोई भी अंडों और चिकन के बारे में गलत बात करता है तो मीडिया की मदद से लोगों तक सही जानकारी पहुंचाई जा सकती है.
Leave a comment