नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करने के लिए हम चूजों को खरीदते हैं और फिर उसे पालकर अच्छी-खासी कमाई करते हैं. पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करने के बाद इसमें ज्यादा मुनाफा बनाने के चूजों की खास तरह से देखरेख की जरूरत पड़ती है, तभी हम इस कारोबार में फायदा उठा सकते हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि चूजों जब भी ठंड के समय में पोल्ट्री फार्म में लाएं तो ऐसे वक्त का चयन करें जो जब ज्यादा ठंड न हो. कभी भी सुबह और रात में चूजों को नहीं लाना चाहिए. इससे चूजों को कम ठंड लगेगी. वहीं चूजों को वैक्सीनेशन करना भी जरूरी काम में से एक होता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फार्म में जब चूजे लाए जाते हैं तो कई काम करने की जरूरत होती है. अगर उन कामों का न किया जाए तो फिर चूजों में मृत्युदर भी दिखाई देती है. जिसके चलते पोल्ट्री फार्मिंग में पोल्ट्री फॉर्मर्स द्वारा लगाई गयी पूंजी का नुकसान हो जाता है. आइए जानते हैं कि क्या-क्या काम करना चाहिए.
क्या-क्या करना हैं, यहां पढ़ें पोल्ट्री फॉर्मर्स
- बिजली न होने पर सिगड़ी अथवा तगाड़ी में कोयले के अंगार या लकड़ी के गुटके के अंगार रखकर उसे ईंटों का घेरा बनवाकर चूजों को सेफ और अनुकूल तापमान में रखा जा सकता है.
- बल्ब कितनी ऊंचाई पर हो या सिगड़ी कितनी दूरी पर रहे इस बात को परखा जाना चाहिए. यदि चूजे बल्ब या सिगड़ी के बहुत पास-पास इकट्ठे हो रहें हों तो इसका मतलब है कि बल्ब को थोड़ा नीचे, चूजों के पास रखा जाए. या सिगड़ी में अंगार बढ़ाया जाए. यदि मुर्गी चूजे बल्ब या सिगड़ी से बहुत दूर हट रहें हो तो इसका मतलब है कि बल्ब को थोड़ा ऊपर, चूजों से दूर रखा जाए या सिगड़ी में अंगार घटाया जाएं.
- पहले हफ्ते की उम्र में चूजों को झुमरी रोग (रानीखेत) से बचाव के लिए एफ 1 टीका लगाना चाहिए. एक महीने की उम्र होने पर यह वैक्सीन फिर लगाना जरूरी होता है.
- हर महीने 3 दिन एक चम्मच टैट्रासाइक्लीन पाउडर एक कसेला, एक बड़े गिलास पानी में घोलकर पिलाना चाहिए. यह मात्रा 15-20 चूजों के लिए पर्याप्त होती है. ऐसा करने से चूजों को सफेद दस्त और सर्दी जुकाम से बचाया जा सकता है.
- इसी तरह महीने में एक बार सभी चूजों को 3-3 बूंद पिपराजीन दवा, ड्रापर या सिरिंज की मदद से, पिलाने से चूजों के पेट में कृमि (गेंडरूक / पेट के कीड़े) नहीं होंगे. जिससे उनकी बढ़त तेजी से हो सकती है.
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