नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों का वैक्सीनेशन करना बेहद ही जरूरी होता है और इसके कई फायदे होते हैं. मुर्गियों में वैक्सीनेशन होने से कई खतरनाक बीमारियों से उन्हें बचाया जा सकता है. इससे मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत हो जाती है. वहीं मुर्गियों में उत्पादक क्षमता भी बढ़ती है. मुर्गी पालन में कामयाबी पाने के लिए वैक्सीनेशन की अहमियत को समझना जरूरी है और समय-समय पर वैक्सीन लगवाना भी जरूरी है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गी फार्म में हजारों या सैकड़ो मुर्गियां आसपास रहती हैं. इसकी वजह से एक दूसरे में बीमारी फैलने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. इसलिए जरूरी है कि मुर्गियों का समय रहते हैी वैक्सीनेशन कर दिया जाए.
वैक्सीनेशन करने में कई जरूरी बातों का भी ध्यान रखना होता है. वैक्सीनेशन के लिए हमेशा ही हैल्दी मुर्गियों का चयन करना चाहिए. वैक्सीनेशन डिस्पोजेबल सिरींज के इस्तेमाल से ही करें और इसके तीन दिनों बाद तक मुर्गियों को विटामिन जरूर दें. गर्मी के मौसम में दिन का तापमान वैक्सीन की ताकत को कम कर देता है. इसलिए सुबह या शाम को ही वैक्सीनेशन करना चाहिए.
पहले से बचाव करना होता है जरूरी
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली के मुताबिक मुर्गियों में बैक्टीरिया द्वारा होने वाली बीमारियों से 25-100 प्रतिशत तक मृत्यु दर होने की संभावना रहती है. आपको बता दें कि मुर्गियों के रोगी हो जाने पर इलाज फायदेमंद नहीं होता. कुछ बीमारियों से बचाव के लिए पहले से कोशिश करना जरूरी होता है. इसलिए मुर्गी पालकों को अपनी मुर्गियों में होने वाले रोगों के लक्षण, रोकथाम, टीकाकरण तथा इलाज के संबध में जानकारी होना चाहिए.
इन बीमारियों से बचाव के लिए कराएं वैक्सीनेशन
- रानीखेत (झुमरी) रोगः यह मुर्गियों की सबसे भयानक व जल्दी फैलने वाली बेहद ही संक्रामक बीमारी है. इसमें शत-प्रतिशत चूजे मरने लगते हैं. इस रोग के प्रमुख लक्षण की बात करें तो छींकना, जम्हाई लेना, सांस लेना, सांस लेने में कठिनाई (सांस लेने पर सीटी कसी आवाज आती है), खांसी, बुखार, दस्त (हरा/पीला) आदि। बाद में टांगों एवं पंखो में लकावा हो जाता है.
- चेचक माता रोग (फाउल पाक्स): यह एक छूत का रोग है तथा बड़ी मुर्गियों एवं चूजों दोनों में होता है. रोग के कारण मौत तो कम होती है, पर मुर्गियों में अंडा उत्पादन काफी कम हो जाता है. इसमें स्किन, आंख नाक व मुंह में चेचक के दाने निकल आते हैं. शरीर के पंखहीन भागों, जैसे- कलगी, गर्दन, टांग आदि पर मोटी पपड़ी बन जाती है, आंखों पर सूजन आ जाती है. मुर्गियों बार-बार छींकती है व तेज बुखार चढ़ता है. कई बार अन्य मुर्गी को चोंच मार-मार कर घायल कर देती है.
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