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Poultry Farming: असील, मिनॉर्का और कोचिन नस्ल की मुर्गियों को पालने का क्या है फायदा, जानें यहां

शारीरिक बनावट को अगर बात करें तो इसकी गर्दन लंबी रहती है. मुंह गोल बेलनाकार होता है, जबकि चोंच छोटी रहती है और टांगें लंबी-लंबी रहती हैं. यह आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं. इसकी बनावट की वजह से इनको लड़ाई के लिए शुरू से उपयोग किया गया है.
असील की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. इसमें कोई शक नहीं है कि मुर्गी पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है और इसे करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. भारत में मुर्गियों की कई नस्लें पाई जाती हैं. इसलिए इस व्यवसाय में आने से पहले उनके बारे में जान लेना भी बेहद जरूरी होता है कि किस नस्ल की मुर्गी कितने अंडों का उत्पादन करती हैं और उससे कितना मीट उत्पादित होता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ मुर्गियां ऐसी हैं जो अंडे देने के लिए पाली जाती हैं. जबकि कुछ मुर्गियों का मीट ज्यादा टेस्टी होता है. जान लें कि अगर आप असील, मिनॉर्का और कोचिन नस्ल की मुर्गियों का पालन कर रहे हैं तो कई मुर्गियां दोनों काम में आती हैं.

यहां हम आपको मुर्गियों की तीन नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें मिनॉर्का, कोचिन और असील है. इन मुर्गियों की क्या खासियत है और यह किस वजह से पाली जाती हैं आइए इस बारे में जानते हैं.

मिनॉर्का
यह दो रंग की होती है-एक काली और दूसरी उजली, लेकिन उजली बहुत कम ही देखने में आती है. यह धातु रूप काली परों वाली होती है. यह देखने में खूबसूरत लगती है. यह जयादा अंडे देने वाली होती है. इसके अंडे बड़े आकार के उजले रंग के होते हैं. यह दाना कम खाती है. यह एक कलंगी होती है. वहीं कलंगी का रंग गुलाबी होता है. इसके चूजे बहुत जल्दी बढ़ते हैं और करीब तीन माह में इसके नर (कॉकरेल) खाने लायक हो जाते हैं. इसके मुर्गे का वजन 3 किलो तथा मुर्गी का वजन 2.75 किलो होता है. इसे कई एक जगहों में रेडफेसेड भी कहा जाता है.

असील
इस प्रकार की मुर्गियां सही में खेल मनोरंजन की मुर्गी हैं. इसके मुर्गों की लड़ाई देहातों में प्रसिद्ध है जिससे लोग मनोरंजन करते हैं. इसका मांस अच्छा होता है. इसका मांस काफी स्वादिष्ट भी होता है. यह अंडे बहुत कम देती हैं लेकिन अण्डों पर चिपककर बैठती हैं. यह घुमते-फिरते अधिक स्वस्थ रहती हैं. पर, यह घेरों में अच्छी तरह नहीं पलती हैं. इसके कलंगी छोटे आकार की होती है. चोंच छोटी, सिर छोटा चौड़ा तथा गर्दन लम्बी होती है. इसका शरीर भारी तथा पैर लम्बे होते हैं. इसके शरीर की बनावट गोल होती है. यह देखने में बहुत अच्छा लगता है. यह झगड़ालू प्रकृति की होती हैं. यह कई एक रंग की होती हैं. जैसे- उजली, काली, लाल-काली, रंग-बिरंगी इत्यादि. ये वर्ष भर में 30-40 अण्डे देती है. इसके मुर्गे का वजन 2.5-5 किलो तथा मुर्गी का वजन 2.3-5 किलो होता है.

कोचिन
यह भारी आकृति का वजनदार होती है. इसके परों में ज्यादा पंख होते हैं. इसके पंख लम्बे और काफी होते हैं जिससे यह बहुत बड़ी दिखाई देती है. ये सभी एक कलंगी होते हैं. इसके मुर्गे का वजन 5 किलो तथा मुर्गी का वजन 4 किलो होता है.

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