नई दिल्ली. पोल्ट्री का बिजनेस आज मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. अगर पोल्ट्री सेक्टर में अंडे और मीट के लिए कारोबार किया जाए, तो यह एक बेहतरीन मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. आजकल तापमान थोड़ा अधिक हो रहा है. देश के कई राज्यों में मौसम विभाग ने लू का अलर्ट जारी किया है. राजस्थान, यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में इन दिनों मौसम गर्म हो जाता है. इन जगहों पर किन मुर्गियों को पालें जिससे आमदनी में ग्रोथ हो. आइये आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए जानकारी दे रहे हैं.
जिन इलाकों में गर्मी और ह्यूमिडिटी ज्यादा होती है, वहां सभी तरह की मुर्गियों को खुद को ढाल पाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि ऐसी दो नस्लें हैं, जिन्होंने इन क्षेत्रों में बेहतर उत्पादन किया है. पुर्वोत्तर प्रदेश असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम एवम् सिक्किम जहां के वातावरण में काफी फर्क है वहां भी करीब 1.7 लाख उर्वरक अंडे, 50 हज़ार चूजे और 11 हज़ार पैतृक चूज़ों की आपूर्ति की गई और किसानों ने यहां मुर्गियां पाली तो नतीजे बेहतर मिले.
वनराजा नस्ल एक ऐसी नस्ल है, जिससे आप अच्छे अंडे प्राप्त कर सकते हैं. वनराजा में वार्षिक अंडे देने की क्षमता 140-150 होती है. ग्रामप्रिया एक अधिक अंडे देने वाली नस्ल हैं. जिसने पूर्वोत्तर राज्यों में 500 दिन में 170-200 अंडे दिए. विकसित कुक्कुट नस्ल, विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र में भी अपनी उत्पादकता बनाए रखने और हर जलवायु क्षेत्र में सहज रूप से ढल जाने के कारण देश के प्रत्येक भाग में इसे किसानों द्वारा अपनाया गया है.
ये नस्ले गर्म क्षेत्रों के लिए है अच्छी: भारत के एक मध्य एवं दक्षिणी राज्यों की जलवायु आमतौर पर गर्म और आर्द्रता वाली होती है. इन राज्यों में करीब 7.5 लाख एक दिन के चूजे एवं 6.2 लाख उर्वरक अंडे किसानों को विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों, पशुपालन विभार्गो एवं गैर सरकारी संस्थानों द्वारा बांटे गए. इन परिस्थितियों में भी वनराजा एवं ग्रामप्रिया नस्ल ने बेहतरीन उत्पादन किया. तेलंगाना के जहीराबाद जिले में वनराजा के 25 सप्ताह के मुर्गा एवं मुर्गी का शरीर वज़न भार क्रमशः पौने चार किलो और पौने तीन किलोग्राम था. वनराजा और ग्रामप्रिया नस्ल जलवायु क्षेत्र के लिए उपयुक्त बताया गया.
नर्मदा मुर्गी देती है खूब अंडेः देसी मुर्गे कलर और यहां के नेटिव पक्षी कड़कनाथ के साथ क्रॉस कराने के बाद नर्मदा निधि को विकसित किया गया है. इसमें 25 प्रतिशत कड़कनाथ का कैरेक्टर रहता है. 75 प्रतिशत तक जबलपुर कलर मुर्गी के लक्षण आते हैं. इसमें कड़कनाथ के भी गुण, लक्षण, स्वाद देखने को मिलेंगे. साथ में जबलपुर का जो कलर मुर्गा है. इसका भी स्वाद देखने को मिलेगा.
Leave a comment