नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में मक्खियों व मच्छरों के लिए प्रजनन स्थानों को उनके लिए नापसंद बनाने से इनकी संख्या कम की जा सकती है. मक्खियां ज्यादातर अधिक नमी वाले स्थानों पर अंडे देती हैं, जो बाद में लार्वा बन जाते हैं. इसलिए इन स्थानों पर नमी की मात्रा कम करने से लार्वा का स्फूटन नहीं हो पाता है तथा धीरे-धीरे इनकी संख्या कम हो जाती है. यदि पोल्ट्री से उत्पन्न मल में पानी मिला दिया जाए, तब भी इनके लिए यह बेहद ही खराब हो जाता है. हालांकि मल को सुखाने पर भी इनकी संख्या कम की जा सकती है. मल को सुखाने से अनेक फायदे होते हैं, जैसे इसमें बदबू कम हो जाती है, ढेर का अंबार कम हो जाता है तथा आसानी से हटाया जा सकता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फार्म के बिछावन में नमी की मात्रा कम रखने से भी मक्खी व मच्छरों की संख्या कम की जा सकती है. पिंजड़ों में रखे बर्ड से उत्पन्न मल की सफाई जल्दी-जल्दी करते रहना चाहिए. पोल्ट्री फार्म की सफाई इस प्रकार से की जाए, ताकि मक्खियों एवं मच्छरों के प्रजनन के स्थान न रहने पायें.
इन बातों पर भी करें गौर
पिंजड़ों के नीचे मल के लम्बे समय तक जमा रखने से भी मक्खी और मच्छर की रोक-थाम की जा सकती है. साथ में मल को एक साथ एक ही स्थान पर ढेर के रूप में इक्ट्ठा करने से इसका आकार कम हो जाता है, जिसका मुख्य कारण नमी की मात्रा का कम होना तथा ढेर के रूप में कूड़ा खाद बनने में मदद मिलती है.
पोल्ट्री फार्म से गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए, ताकि सतह पर पानी न रहें, जिससे मक्खी मच्छर पनपने न पायें.
पोल्ट्री फार्म में हवा का आदान-प्रदान उचित प्रकार का होना चाहिए. इसके चलते पोल्ट्री फार्म में नमी की मात्रा कम हो जाती है.
वहीं इससे मल में सूखापन बढ़ता है तथा पक्षी भी आराम महसूस करते हैं. इसके साथ-साथ मल को और अधिक सूखा रखने के लिए कई और काम किए जा सकते हैं.
पानी की नालियों की निरन्तर सफाई करते रहना चाहिए तथा पानी में जीवाणुओं की संख्या कम रखनी चाहिए.
आहार में नमक की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि नमक की अधिक मात्रा से कुक्कुटों में पानी की खपत बढ़ जाती है, जिससे मल में पानी की मात्रा बढ़ जाती है.
दरवाजों पर लोहे की जाली लगवानी चाहिए तथा बिजली द्वारा विशेष प्रकार की रोशनी की ओर आकृशित करने पर मक्खी व मच्छर नष्ट हो जाते हैं.
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