नई दिल्ली. पोल्ट्री सेक्टर में फीड पर टिका हुआ है. फीड से मतलब मक्का और सोयाबीन से है. जबकि बार-बार पोल्ट्री फीड के दाम में इजाफा होता चला जा रहा है. दूसरी ओर पोल्ट्री प्रोडक्ट के दाम में इतना ज्यादा इजाफा नहीं होता है. मौजूदा वक्त में मक्का से इथेनॉल बनाया जा रहा है. इसके चलते इसके दाम ने आसमान छूना शुरू कर दिया है. वहीं इसको लेकर पोल्ट्री फेडरेशन का कहना है कि उन्हें किसानों को मिले रहे अच्छे रेट से कोई दिक्कत नहीं है. वो चाहते हैं कि किसानों को अच्छा दाम मिले. हालांकि इसके दूसरे पहलू पर गौर करें तो पोल्ट्री कारोबार से जुड़े 10 हजार के करीब छोटे किसानों को मुश्किल हो रही है. सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. बीते कुछ साल में ही पोल्ट्री फीड के दाम में 10 से 15 फीसदी का इजाफा हुआ है.
सरकार समझे पोल्ट्री सेक्टर की जरूरत
फेडरेशन से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार से हमारी मांग है कि वो जीएम मक्का की खेती करने की इजाजत दे. ऐसे में पैदावार ज्यादा होगी तो फूड, फीड और फ्यूल सभी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है. पोल्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष रनपाल डाहंडा कहते हैं कि सरकार को पोल्ट्री फार्मर की पीड़ा और पोल्ट्री सेक्टर की जरूरत को समझना होगा. इस वक्त भारत दुनिया में अंडा उत्पादन करने के मामले में पांचवीं पोजिशन पर है. पोल्ट्री एक्सपर्ट इस बात को मानते हैं कि इंडियन पोल्ट्री का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत मजबूत है और जब चाहे उत्पादन को जरूरत के हिसाब से बढ़ा सकता है.
पोल्ट्री सेक्टर को क्यों हो रहा है नुकसान
बढ़ते फीड के रेट को लेकर पोल्ट्री सेक्टर में कहीं न कहीं डर का माहौल है. छोटे पोल्ट्री फार्मर पर तो संकट के दरवाजे पर खड़े हैं. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) का कहना है कि केन्द्र सरकार को जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देना चाहिए. जबकि बीते 30 अक्टूबर को दिल्ली में एक कार्यक्रम में सीआईआई ने सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने को लेकर ठोस कदम उठाने की मांग की थी. सीआईआई का मानना है कि हर साल पोल्ट्री सेक्टर सात से आठ फीसदी की ग्रोथ हासिल कर रहा है. यदि सरकारी सहयोग मिलने लगे तो इसका ग्रोथ रेट और ज्यादा होगा. बता दें कि फूड और फीड में शामिल मक्का को इथेनॉल बनाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे मक्का के दाम बढ़ते जा रहे हैं. किसनों को फायदा हुआ है और उन्हें इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं लेकिन पोल्ट्री सेक्टर को नुकसान हो रहा है.
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