नई दिल्ली. अप्रैल में ही गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. गर्मी को देखते हुए लोग बेवजह घरों से बाहर जाने से कतरा रहे हैं. ऐसे में इस तपिश का असर मुर्गी और पशुओं पर भी पड़ रहा है. तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में भीषण गर्मी से पल्लदम के पोल्ट्री फार्मों में पिछले कुछ दिनों में मुर्गियां मर गईं. अब तो हालात ये हो गए हैं कि सुबह के नौ बजे बजते हैं तपिश से लोग झुलसने लगे हैं. गर्मी से बचने के लिए लोग तो कूलर-पंखे और एसी चलाकर गर्मी को शांत कर लेता है लेकिन पशु क्या करें. इन्हें गर्मी से कैसे बचाएं. जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है वैसे-वैसे दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है. जबकि मुर्गियां मरने लगती हैं. ऐसी स्थिति में कैसे पशुओं को गर्मी से बचाएं, इस बारे में नीचे दी जा रही जानकारी को जरूर पढ़ें.
भीषण गर्मी का असर लोगों के साथ ही पशु-पक्षियों पर पड़ने लगा है. गर्मी का आलम ये है कि बिना एसी-कूलर के काम नहीं चल रहा. ऐसे में मुर्गियों और पशुओं को भी गर्मी सताने लगी है. हालात ये हो गए हैं कि हीट वेब के चलते मुर्गियां दाना तो पशु ठीक से चारा भी नहीं खा पा रहे हैं, जिसका असर दूध और अंडा उत्पादन पर पड़ रहा है. अंडा-दूध का उत्पादन कम होने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. वहीं तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में भीषण गर्मी से पल्लदम के पोल्ट्री फार्मों में पिछले कुछ दिनों में मुर्गियां मर गईं.
ऐसे रखें अपने पशुओं का ध्यान
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दुष्यंत यादव ने बताया कि अप्रैल के महीने में करीब दस साल बाद लू जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. इस भीषण गर्मी का असर, दूध देने वाले पशुओं पर पड़ रहा है. पशुओं ने दो-तीन लीटर दूध कम देना शुरू कर दिया है. इसे लेकर किसानों के फोन भी आने लगे हैं. इसिलए इस भीषण गर्मीमें पशुपालक अपने पशुओं को दोपहर के वक्त में खुले में न बांधे. पशुओं को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा दें. हरे चारे की कटाई भी सुबह के वक्त ही करें. इसे काटने से पहले पानी का छिड़काव कर दें. क्योंकि अधिक धूप होने पर टॉक्सिन बन जाते हैं. इसके लिए खेत में नमी बनाए रखना जरुरी है. धूप में पशुओं को भोजन बिल्कुल नहीं देना चाहिए. पशुओं को हमेशा ताजा पानी ही पिलाएं। जिस स्थान पर पशु निवास कर रहे हैं वहां धूप या गर्मी का असर ज्यादा न हो. अधिक गर्मी की वजह से पशुओं के बीमार होने आशंका
बढ़ जाती है.
अचानक हो रही दो-तीन लीटर दूध कम
गर्मी से पशुओं को कैसे बचाएं इस बारे में बिहार में पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दुष्यंत यादव बताते हैं कि काफी समय बाद अप्रैल में इस तरह का तेज धूप के साथ लू देखने को मिल रही है, ऐसी स्थिति में विशेष रूप से दूध देने वाले पशुओं पर इसका प्रभाव पड़ रहा है. हालात ये हो गए हैं कि पशुओं ने औसत से दो-तीन लीटर तक दूध कम हो रहा है. ऐसे में पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
फार्म के अंदर छोटे-छोटे पंखे लगाएं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वेस्ट तमिलनाडु का ब्रॉयलर उद्योग चार हजार करोड़ से भी ज्यादा का है.इसमें पल्लदम (तिरुप्पुर), इरोड और कोयंबटूर में पांच हजार से ज्यादा ब्रॉयलर फार्म हैं. इनसे हर माह करीब दस लाख मुर्गियां पैदा करते हैं और इन्हें कोयंबटूर, इरोड, डिंडीगुल और तिरुप्पुर में आपूर्ति की जाती है. एक पोल्ट्री फार्म संचालक ने बताया कि मेरे पास पल्लदम में एक छोटा पोल्ट्री फार्म है, जिसमें मेरी छह हजार से अधिक ब्रॉयलर मुर्गियां हैं. उन्होंने बताया कि तेज गर्मी को सहन करने में मुर्गी असमर्थ होती हैं. यही वजह है कि मुर्गी मर रही हैं.
मुर्गियों पर पानी छिड़कते रहे
मुर्गी फार्म संचालक मनीष शर्मा की मानें तो अक्सर देखा गया है कि प्रत्येक 100 मुर्गियों में से तीन मुर्गी मर जाती हैं. लेकिन इस बार देखने को मिल रहा है कि 100 मुर्गियों में से करीब सात से आठ मुर्गियों की मौत हो रही है. इसलिए मुर्गियों को गर्मी सेराहत दिलाने के लिए छोटे—छोटे पंखों को लगाएं. इतना ही नहीं मुर्गियों पर बार-बार पानी छिड़कते रहें. इससे मुर्गियों की मौत नहीं होगी.
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