नई दिल्ली. गर्मी पशुओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है. पशु अपनी परेशानी को कह भी नहीं पाते हैं. इसलिए पशुपालकों को ही उनकी दिक्कतों को समझना पड़ता है. हालांकि पशुओं को जो भी दिक्कतें होती हैं वो उनके प्रोडक्शन से पता चल जाती है. क्योंकि गर्मियों पशुओं का मिल्क प्रोडक्शन बहुत कम हो जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक गंभीर गर्मी के तनाव के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है. पल्स रेट भी बढ़ सकती है, ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. ऐसे में पशु खाना कम खाते हैं और पानी ज्यादा पीने लग जाते हैं.
इसलिए जरूरी हो जाता है कि पशुओं को गर्मी से बचाय जाए ताकि उन्हें तनाव न हो और दूध प्रोडक्शन भी कम न हो. इसके लिए कई चीजें की जा सकती है. सुनिश्चित करें कि जानवरों को छाया में रखा जाए. छाया का सबसे प्रभावी स्रोत पेड़ हैं. यदि छायादार पेड़ उपलब्ध नहीं हैं तो कम से कम 9 फीट ऊंची छप्पर वाली छत उपलब्ध कराई जानी चाहिए. 20% छेद वाले एग्री-नेट भी उपयोगी होते हैं. यदि व्यक्तिगत किसानों के पास सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो गांव में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग समुदाय द्वारा किया जाएगा.
· छत को धान के भूसे आदि जैसी सामग्री से ढंकना, छत को सफेद रंग से रंगना या फॉल्स सीलिंग इन्सुलेशन प्रदान करने से ठंडा वातावरण प्रदान करने में मदद मिलेगी.
· छप्पर वाली दीवार या गीले टाट के कपड़े/टाट की थैलियों का उपयोग करके गर्म हवा के खिलाफ अवरोध बनाएं.
· ढके हुए शेड में प्रति गाय 3 x 1 फीट का एक वेंटिलेटर सुनिश्चित करें. इन शेडों में वेंटिलेशन की सुविधा के लिए हेवी ड्यूटी पंखा सबसे अच्छा विकल्प है.
· गर्म शुष्क मौसम में पंखे की व्यवस्था के साथ-साथ एक घंटे में कम से कम तीन बार पशु के माइक्रो वातावरण में पानी की धुंध/फॉगिंग करना उपयोगी होता है. मिनी पंप और चक्रीय टाइमर के साथ ऑटो मिस्टर/फ़गर बेहतर हैं.
· 10-30 मिनट के अंतराल पर 1 से 5 मिनट की अवधि के लिए जानवरों के शरीर पर सीधे पानी का छिड़काव/छिड़काव करके भी गर्मी के तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है. पशुओं की त्वचा से वाष्पीकरण उत्पन्न करने के लिए पंखे/ब्लोअर का उपयोग किया जाना चाहिए. पंखे के प्रावधान के साथ यह विधि गर्म शुष्क और गर्म आर्द्र दोनों स्थितियों में काम कर सकती है.
· भैंस में गर्मी के तनाव से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका पानी के तालाब में लोटना है.
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