नई दिल्ली. मुर्गी की सहायता से अंडों से चूजा निकालने का काम किया जाता है. चूजा पालन भी प्राकृतिक विधि द्वारा ही मुर्गी की सहायता से किया जाता है. मुर्गी अपने शरीर का तापमान चूजों को देकर उन्हें पालती है. अपने आकार के अनुसार एक मुर्गी 10-15 चूजे पाल सकती है. चूजों के सही पालन-पोषण के लिए हमें कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. चूजे पालने का उचित समय चूजे ऐसे समय खरीदें या घर पर ही अंडों से निकाले कि उनका अंडा उत्पादन उस समय शुरू हो ताकि अंंडों की ज्यादा कीमत हासिल हो सके. चूजों में चोंच काटना भी जरूरी होता है. आइये इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर क्यों चूजों की चोंच काटी जाती है और किन चूजों की चोंच को काटा जाता है.
मुर्गी की चोंच काटने की प्रथा का उपयोग केवल पंखों को चोंच मारने और नरभक्षण को रोकने के लिए किया जाता है. केवल प्रशिक्षित और निगरानी वाले कर्मियों को ही उचित उपकरण और प्रक्रियाओं का उपयोग करके चोंच काटने का काम करना चाहिए.
अधिकांश पोल्ट्री प्रजातियों की चोंच एक बहुत ही विशिष्ट अंग है. इसमें कई संवेदी रिसेप्टर्स और ग्रंथियां होती हैं जो पक्षी को भोजन की खोज और पंखों को संवारने जैसी गतिविधियों में मदद करती हैं. पक्षी अपनी चोंच का उपयोग आक्रामक और रक्षात्मक व्यवहार के लिए हथियार के रूप में भी करता है. चोंच का केंद्र हड्डी से बना होता है और बाहरी परत सींगदार ऊतक से बनी होती है जो चोंच की नोक की ओर मोटी होती है. हड्डी और बाहरी सींगदार परत के बीच के ऊतक में कई तंत्रिकाएं होती हैं.
सिर्फ मादा की काटी जाती है चोंच: चूजों और बड़ी मुर्गियों में कई बार एक दूसरे को चोंच मार कर घायल कर देने की बुरी आदत पड़ जाती है. इसे केनिबोलिज्म कहते है. ऐसा तब होता है जब कम जगह में अधिक चूजे रखे जाते हैं. अधिक तापमान हो और खाने-पीने के बर्तन में दाने पानी का न हो. असंतुलित भोजन हो और अधिक रोशनी के साथ अपर्याप्त प्रबन्ध व्यवस्था हो. इस बुरी आदत से बचाने के लिये 4 से 6 सप्ताह की आयु पर चूजों की चोंच के ऊपर वाले हिस्से का एक तिहाई भाग काट दें. यह ध्यान रखें कि केवल मादा चूजों की ही चोंच काटनी चाहिए. नर चूजों की चोंच को नहीं काटें, नहीं तो वह बड़ा होकर मादा पर प्रजनन के लिए नहीं चढ़ सकेगा. चोंच को काटने के लिए एक साधारण ब्लेड या कैंची उपकरण, जैसे कि सेकेटर्स, का उपयोग किया जाता है।
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