नई दिल्ली. पोल्ट्री सेक्टर की तमाम अड़चनों को दूर करके इस सेक्टर को आगे ले जाने को लेकर CLFMA पोल्ट्री सेमिनार, यूएस ग्रेन काउंसिल और पश्चिम बंगाल पोल्ट्री फेडरेशन के साथ कोलकाता में आयोजित किया गया है. इस सेमिनार की भारत के CLFMA ने मेजबानी की. इस दौरान पोल्ट्री सेक्टर के भविष्य पर तमाम एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी. यहां पोल्ट्री फीड के तौर पर यूएस ज्वार को लेकर भी चर्चा हुई. बताते चलें कि ये सेमिनार भारत के CLFMA, पश्चिम बंगाल पोल्ट्री फेडरेशन (WBPF) और यूएस ग्रेन काउंसिल (USGC) के सहयोग से आयोजित किया गया था.
इस दौरान विकसित होते पोल्ट्री क्षेत्र और इसके भविष्य की संभावनाओं पर भी एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी. इस कार्यक्रम की शुरुआत सुमित सुरेका, उपाध्यक्ष, CLFMA ऑफ इंडिया और दिव्या कुमार गुलाटी, अध्यक्ष, CLFMA ऑफ इंडिया द्वारा गर्मजोशी से स्वागत भाषण के साथ हुई. जिसमें CLFMA द्वारा किए जा रहे विभिन्न गतिविधियों जैसे छात्रों के कार्यक्रम, विभिन्न संघों के सहयोग से पूरे भारत में सेमिनार आयोजित करने आदि के बारे में जानकारी दी गई.
क्या है यूएस ज्वार, जानें यहां
इसके बाद, यूएसजीसी के अमित सचदेव और रीसे कैनाडी द्वारा जानकारी से भरपूर प्रेजेंटेशन दी गई. जिन्होंने वैश्विक फीड स्टॉक प्रवृत्तियों पर रोशनी डाली और उद्योग के लिए यूएस ज्वार को एक आशाजनक समाधान के रूप में उजागर किया. गौरतलब है कि यूएस ज्वार (Sorghum) एक बहुत पुराना अनाज है जो दुनिया भर में उत्पादित होता है और यह एक हैल्दी बहुमुखी भोजन है. ये 30 देशों में 500 मिलियन से अधिक लोगों के आहार का आधार रहा है और दुनिया में पांचवीं सबसे महत्वपूर्ण अनाज फसल है. जिसका इस्तेमाल पोल्ट्री में किया जा सकता है.
आगे ले जाने के रास्ते पर की चर्चा
डॉ. हर्ष कुमार शेट्टी, वेंकटेश्वर हैचरीज के जनरल मैनेजर, ने भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र पर एक गहन अपडेट प्रदान किया, जिसमें प्रमुख चुनौतियों और लगातार विकास के लिए आगे के रास्ते पर चर्चा की. भारत में पोल्ट्री के भविष्य पर एक गतिशील पैनल चर्चा ने दर्शकों को संलग्न किया, ज्ञान और उद्योग के दृष्टिकोणों के मूल्यवान आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया. इस कार्यक्रम का समापन वक्ताओं और प्रतिष्ठित पैनलिस्टों का सम्मान करने के साथ हुआ. जिसके बाद समीर चोताई, अध्यक्ष, पूर्व क्षेत्र, CLFMA ऑफ इंडिया द्वारा एक दिल से धन्यवाद दिया गया. इस सत्र ने CLFMA की उद्योग में प्रगति को बढ़ावा देने और प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को मजबूत किया.
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