नई दिल्ली. मछली पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो जान लें कि ये अच्छा काम है. इससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं. हालांकि मछली पालन को शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी होता है. जिसका सीधा असर मछलियों के उत्पादन पर पड़ता है. जबकि मछली पालन शुरू करने के लिए इन बातों का जानना बेहद ही जरूरी है. फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि इसमें सबसे अहम बात ये है कि मछली के बीजों को हमेशा ही मत्स्य विभाग या अधिकृत लोगों से ही खरीदें. इससे मछली पालन में फायदा होगा. वहीं मछली के बीजों को संचयन जुलाई से सितंबर के बीच करना चाहिए. जबकि मछली के बीजों का संचयन सुबह के समय करना बेहतर होता है.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन की संचय के पहले तालाब की तैयारी भी करना बेहद ही जरूरी होता है. आमतौर पर दो तरह के तालाब में मछली पालन का काम किया जाता है. मछली पालन ये बनाये गये तालाब में किया जाता है. यानि नये सिरे से पालन शुरू करने के लिए तालाब का निर्माण कराया जाता है. जबकि कुछ तालाब ऐसे होते हैं जिसमें पहले से मछली पालन पहले से भी किया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि दोनों तरह के तालाब को मछली पालन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए अलग-अलग तरह से तालाब को तैयार किया जाता है. आइये जानते हैं कि नये तालाब को कैसे तैयार किया जाता है.
नवनिर्मित तालाब तैयार करने के बारे में जानें
फिश एक्सपर्ट के मुताबिक हमें तालाब के निर्माण के समय यह ध्यान देना चाहिए कि तालाब का निर्माण आयताकार हो तथा यह पूरब से पश्चिम की तरफ हो. इससे, तालाब के पानी का हवा से संपर्क ज्यादा देर तक बना रहता है. वहीं पानी में घुलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है. इसके अलावा तालाब के बांध भी सुरक्षित रहते हैं. हवा की दिशा वाला बांध ज्यादा मजबूत होना चाहिए. ध्यान दें कि तालाब के मिट्टी की जुताई करना चाहिए. जुताई के बाद उसे 3-7 दिन तक सूरज की रोशनी में सुखने के लिए छोड़ देना चाहिए.
इन बातों का भी ध्यान दें
सूरज की रोशनी में तालाब को छोड़े जााने के बाद जोते हुए भाग पर भारी रोलर से मिट्टी को बैठाना चाहिए, ताकि पानी भरने पर उसकी टर्बिडिटी (गंदलापन) कम हो. नये तालाब के मिट्टी के पीएच को ठीक करने के लिए पीएच के मान के अनुसार 500 से एक हजार किलो भाखड़ा चूना प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए. उसके 3-5 दिन बाद तालाब की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे मवेशी का गोबर 5 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या ढाई हजार किलो वर्मी खाद प्रयोग करना चाहिए. रासायनिक खाद में यूरिया 125-150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, एसएसपी-250-300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए. इसके बाद तब उसमें पानी भरना चाहिए. पानी की गहराई 1.50 मीटर यानि 5-6 फीट होनी चाहिए.
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