नई दिल्ली. पशुपालन में आज कई नस्लों की गाय डेयरी के लिए पशुपालक पाल रहे हैं. आंध्र प्रदेश के पशुओं की पहचान अलग है. आज आपको बता रहे हैं आंध्र प्रदेश के फेमस पशुओं की नस्ल के बारे में. आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गाय आज बेहद फेमस हो रही है. वहीं ओंगोल और मोटू नस्ल के पशु अलग ही पहचान बनाए हुए हैं. पुंगनूर गाय और नंदी का आंध्र प्रदेश से हुआ है. छोटे पैर और छोटे कद की पुंगनूर नस्ल की गाय विलुप्त होने की कगार पर थी, लेकिन अब इसके संरक्षण के लिए पीएम मोदी ने ही कदम उठाए तो इसकी पहचान अब देश के सभी राज्यों में होने लगी. इस नस्ल की गाय के अब न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि देश के अन्य स्थानों पर भी संरक्षण के प्रयास हो रहे हैं. देश में अब इस नस्ल की गायों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
पुंगनूर गाय दुनिया में सबसे खूबसूरत गायों में शामिल है. ये गाय दूध कम मात्रा में देती है. पुंगनूर गाय औसतन 1-3 लीटर दूध ही रोजाना दे पाती है. जबकि ये गाय प्रत्येक दिन करीब पांच किलो चारा खा जाती है.
ओंगोल नंदी
होम ट्रैक्ट: आंध्र प्रदेश के कुरनूल, प्रकाशम, गुंटूर, कृष्णा, नेल्लोर, पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, विशाखापत्तनम और विजयनगरम जिले
पहचानने योग्य विशेषताएं:
- नर में मुख्य रूप से चमकदार सफेद कोट, गहरा सिर, गर्दन और कूबड़
- चौड़ा माथा, बड़ा कूबड़
- चिकनी बहने वाली सिलवटों के साथ चमकदार ओसलाप
- छोटे सींग, बाहर की ओर रखे गए
- ट्यूबलर क्षैतिज कान
पुंगनूर गाय
होम ट्रैक्ट: चित्तूर, आंध्र प्रदेश
पहचानने योग्य विशेषताएं:
- छोटा कद (छोटा आकार)
- सफेद, ग्रे या हल्के भूरे से गहरे भूरे रंग का कोट
- छोटे पैर
- नर में छोटे सींग और मादा में थोड़े लंबे
- क्षैतिज रूप से रखे गए ट्यूबलर कान
मोटू
होम ट्रैक्ट: ओडिशा का मलकानगिरी जिला छत्तीसगढ़ के निकटवर्ती जिले आंध्र प्रदेश के निकटवर्ती जिले
पहचान योग्य विशेषताएं:
- मध्यम आकार का शरीर
- लाल/भूरे रंग का कोट
- ज़्यादातर सींग रहित (सींग छोटे और सीधे, कभी-कभी)
- छोटा कूबड़
आज बढ़ रही हैं पुंगनूर गायों की संख्या: एक अनुमान के मुताबिक आंध्र प्रदेश में पुंगनूर गायों की संख्या सिर्फ 2,772 थी. जब इस पर काम हुआ तो पुंगनूर गायों की संख्या 13275 हो गई है. गौरतलब है कि पुंगनूर भारत में सबसे कम संख्या वाली गायों की नस्लों में तीसरे नंबर है. जबकि सबसे कम 5264 बेलाही नस्ल की गाय है और दूसरे नंबर 13934 पणिकुलम गाय है. पुंगनूर गाय का पालन बेहद कम जगह पर किया जा सकता है.
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