नई दिल्ली. तमाम राज्य सरकारों की तरह राजस्थान की सरकार भी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए का काम कर रही है. वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश सरकार गांव और गरीब के उत्थान, किसान एवं महिला के सम्मान के लिए निरंतर काम कर रही है. इसी दिशा में 17 सितंबर से सेवा पखवाड़ा मनाया गया. जिसके तहत समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक योजनाओं का फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश भर में ग्रामीण और शहरी सेवा शिविरों का आयोजन किया गया. इन सेवा शिविरों में 16 विभागों को शामिल किया गया. जिससे लाखों लोगों को फायदा हुआ है. जिसमें पशुपालन विभाग भी शामिल था.
सेवा पखवाड़े के जरिए ग्रामीण सेवा शिविरों में रजिस्ट्री, पट्टे, गिरदावरी, कुर्रेजात, विभाजन, नामांतरण, प्रमाण पत्र और अन्य विभिन्न कार्य किए जाने के साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं से भी पात्र लोगों को जोड़ा गया. इसमें पशुपालन विभाग ने भी सक्रियता से भाग लिया और पशुओं के कल्याण से संबंधित कई गतिविधियों का आयोजन किया गया.
किसे मिले फायदा
विभाग के निदेशक डॉ आनंद सेजरा ने बताया कि पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने इन सेवा शिविरों के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में विभाग की योजनाओं के प्रचार प्रसार के साथ पशुओं के उपचार और टीकाकरण आदि गतिविधियां आयोजित कीं.
प्रदेश में अब तक 3 लाख 34 हजार 106 पशुपालक इन शिविरों से लाभान्वित हुए. 8 लाख 44 हजार 190 छोटे बड़े पशुओं का उपचार इन शिविरों के तहत हुआ.
जबकि एफएमडी, गलघोंटू, लंगड़ा बुखार तथा पीपीआर रोगों से बचाव के लिए 3 लाख 93 हजार 990 पशुओं का टीकाकरण किया गया.
11 लाख 74 हजार 634 पशुओं को कृमिनाशक दवा की खुराक पिलाई गई और बाहरी कीड़ों से बचाव के लिए 9 लाख से अधिक पशुओं पर कृमि नाशक दवा का छिड़काव किया गया.
इन शिविरों के माध्यम से 1 लाख 10 हजार 852 मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा की पॉलिसी का वितरण भी किया गया.
निष्कर्ष
एपीआरओ रचना सिद्धा ने बताया कि सेवा पखवाड़ा प्रदेश के हर नागरिक तक सुशासन, सुविधाएं और विकास की पहुंच सुनिश्चित करने के साथ ही जनसेवा के लक्ष्य की प्राप्ति का एक सशक्त माध्यम साबित हुआ. जहां एक ही मंच पर और एक ही स्थान पर सभी विभागों ने आपसी समन्वय के साथ आमजन की समस्याओं का त्वरित निस्तारण किया.
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