नई दिल्ली. मछली पालन के बाद तालाब से पानी पूरी तरह बाहर निकाल दें. या फिर कम से कम तीन वर्ष में तालाब को जरूर सुखा लें. पानी की निकासी के बाद आधा फीट तल के कीचड़ को अलग कर लें. यह कीचड़ उर्वरक के रूप में धान के खेत में या बगीचे या तालाब के बांध पर बागवानी में उपयोग में लाया जा सकता है. ऐसा देखा गया है कि इस कीचड़ का उपयोग करने पर, धान की खेती में 30 प्रतिशत तक उर्वरक कम खर्च होता है. जरूरत के मुताबिक तालाब के बांध की मरम्मत करवा लें.
उसके बाद, 5-7 दिन तक तालाब की मिट्टी को सूर्य की रोशनी में सूखने के लिए तब तक छोड़े जब तक कि उसमें दरारे न पड़ जाए. उसके बाद, हल या फिर ट्रैक्टर से जोत दें. जोतने के बाद उसे 3-5 दिन तक छोड़ दें. तब उसमें पीएच के मान के अनुसार 300-500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भखड़ा चूना का प्रयोग करें.
तालाब में 2-3 फीट पानी भर लेना चाहिए
चूने के उपयोग के 5-7 दिन के बाद उसकी उर्वरता को बढ़ाने के लिए 5,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मवेशी का गोबर या 2500 किलोग्राम वर्मी खाद का प्रयोग करें. रासायनिक खाद के रूप में 125-150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया तथा 250-300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एसएसपी का इस्तेमाल करें. साथ ही साथ, तालाब में 2-3 फीट पानी भर लेना चाहिए. इसके 3-5 दिन के बाद पानी का स्तर 5 फीट कर देना चाहिए. इसके 3-4 दिन के बाद जब पानी का रंग केले के पत्ते जैसा हल्का हरा हो जाए तो उसमें मत्स्य बीज का संचयन करना चाहिए. वैसे तालाब जिसका पानी पूरी तरह बाहर नहीं निकाला जा सकता है.
10-15 पीपीएम अमोनिया का करें छिड़काव
तालाब में जलीय पौधों का प्रकोप रहता है. ऐसी स्थिति में जलीय पौधों को तालाब से बाहर निकालना जरूरी होतीा है. या फिर रसायनों के प्रयोग अथवा जैविक तरीके अपनाए जा सकते हैं. पानी के अंदर पाये जाने वाले जलीय पौधों के लिए 10-15 पीपीएम की दर से एक्वस अमोनिया का छिड़काव करें. पानी की सतह पर तैरते जलीय पौधों के लिए 6-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 2-4 डी. का छिड़काव करें. जलीय पौधों से अच्छादित तालाब के लिए जैविक तरीका उत्तम है. इससे तालाब के जलीय पौधों पर नियंत्रण भी हो जाता है तथा किसानों को फायदा भी मिलता है. ऐसे तालाब में 100 ग्राम से ज्यादा वजन के ग्रासकार्प की फिंगर्स का संचयन करना चाहिए.
गैरजरूरी मछलियां पहुंचाती हैं नुकसान
पुराने तालाब में परभक्षी तथा अनावश्यक मछलियां बुरा असर डालती हैं. इसको निकालने का काम बार-बार जाल चला कर या फिर सूर्यास्त के बाद 200-300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ब्लीचिंग पाउडर अथवा 100-150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया एवं 150 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल कर किया जा सकता है. यूरिया का प्रयोग ब्लीचिंग पाउडर के प्रयोग से 24 घंटा पहले करना चाहिए. यूरिया का प्रयोग उसी तालाब में करें जहां पीएच का मान 7.5 से ज्यादा हो. ब्लीचिंग पाउडर के उपयोग के 7-10 दिन बाद भखड़ा चूना का उपयोग करना चाहिए.
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