नई दिल्ली. खेती-किसानी के अलावा पशुपालन किसानों की आय का मुख्य स्रोत बनता जा रहा है. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारें भी प्रयास कर रही हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें समय-समय पर पशुपालन के लिए लोन और सब्सिडी आदि मुहैया कराती रहती हैं. सरकार भी चाहती है कि खेती-किसानी के अलावा किसानों के पास पशुपालन आय का दूसरा जरिया बन जाए. जिससे किसान समृद्ध हों और इसका फायदा देश को भी मिले. इसके चलते सरकार पशुपालकों की मदद करती रहती है
भारत में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन किया जाता है. यानी दुनिया भर के अन्य देशों का नंबर दूध उत्पादन के मामले में भारत के बाद ही आता है. यही वजह है कि सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने पर काम करती रहती है. इसको देखते हुए अक्सर पशुपालन को लेकर एडवाइजरी भी जारी की जाती है. हाल ही में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से पशुओं से अच्छा उत्पादन लेने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. ताकि पशुपालकों को किसी तरह के नुकसान से बचाया जा सके.
पशुपालकों को क्या करना चाहिए
विशेषज्ञों के मुताबिक पशुपालन का फायदा इस बात पर निर्भर करता है कि पशु फिट है और अच्छा उत्पादन कर रहा है. यदि पशु बीमार है तो उत्पादन में कमियां आ जाती हैं. इतना ही नहीं पर्यावरणीय बदलाव की वजह से भी पशु उत्पादन कम कर देते हैं. जिसके चलते किसानों को यह मालूम होना चाहिए कि किस स्थिति में उन्हें क्या करना है कि पशु उत्पादन काम न करें और उन्हें नुकसान न उठाना पड़े. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एडवाइजरी के कुछ मुख्य बिंदु आपके साथ साझा किए जा रहे हैं जो पशुपालकों के बहुत ही काम के हैं.
यहां पढ़ें पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की एडवाइजरी
पशुओं से अच्छा और क्वालिटी उत्पादन के लिए, उन्हें पर्यावरणीय तनाव से बचाया जाना चाहिए.
पशुओं को खुले, हवादार एवं आरामदायक शेड उपलब्ध कराये जाने चाहिए.
घुन को फैलने से रोकने के लिए शेड के फर्श और दीवारों को स्प्रे से साफ करना चाहिए.
पशु चिकित्सक की सलाह से अच्छा एसारिसाइड्स का दो सप्ताह बाद दोबारा छिड़काव करें. एंटीसेप्टिक्स और फ्लाई रिपेलेंट की मदद से पशुओं के घावों को बैक्टीरिया और मक्खियों से बचाना चाहिए.
पशुओं के बच्चों को टीकाकरण के अलावा सूखा बिस्तर उपलब्ध कराया जाना चाहिए और उन्हें कृमि मुक्त करना चाहिए.
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