Home पशुपालन Dairy Animal: गाय-भैंस को गाभिन कराने लिए एक्सपर्ट के बताए गए इन सुझावों को पढ़ें यहां
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Dairy Animal: गाय-भैंस को गाभिन कराने लिए एक्सपर्ट के बताए गए इन सुझावों को पढ़ें यहां

cow and buffalo farming
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं का प्रजनन कराने दौरान कई बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. तभी एक हैल्दी बछड़े और बछड़ी का जन्म होता है. ​​बछड़ी पैदा होती है तो इससे आगे चलकर दूध देने वाला पशु तैयार होता है. प्रजनन की पहली प्रक्रिया की शुरुआात पशुओं के हीट में आने से होती है. इसके बाद उन्हें प्राकृति रूप से या फिर आर्टिफिशियल तरीकों का इस्तेमाल करके गाभिन किया जाता है. गांवों में अक्सर प्राकृतिक तरीकों से पशुओं को गाभिन किया जाता है. जबकि एक्सपर्ट डेयरी कारोबार के लिए कृत्रिम गर्भाधान की सलाह देते हैं.

एक्सपर्ट का कहना है कि जब पशु बार-बार रंभाने लग जाए तो समझ जाएं कि वो हीट में आ गया है. उसका पूंछ उठाना भी इसी की निशानदेही करता है. वहीं प्रजनन अंगों में सूजन और अधिक खून बहने के कारण गुलाबी-लाल रंग, प्रजनन अंगों से गाढ़े चिपचिपे और पारदर्शी द्रव का निकलना, बार-बार पेशाब करना, खुराक और दूध का कम होना, पशु का बेचैन होना, दूसरे जानवरों का सूचना और उन पर चढ़ना, गर्मी में आने के 10-12 घंटे के बाद पशु का सांड़ या अन्य पशु के सामने जाकर खड़ा होना और उसे अपने ऊपर चढ़ने देना और गर्मी में आने के लक्षण हैं. इसके 10-12 घंटे बाद ही कृत्रिम गर्भाधान या फिर प्राकृति रूप से गर्भाधान करा देना चाहिए.

यहां पढ़ें गाभिन कराने को लेकर सुझाव
पशुओं का प्राकृतिक गर्भाधान करा सकते हैं. यदि पशु गाभिन नहीं हुआ है तो वह 21 दिन बाद पुनः गर्मी में आयेगा.

फिर 21 दिन बाद गर्मी के लक्षणों का निरीक्षण करना चाहिए, विशेष तौर पर सुबह और शाम के समय करना चाहिए.

भैसों में विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनमें गर्मी के लक्षण अधिक स्पष्ट नहीं होते हैं.

जब गाय भैंस गर्मी में होती है, तब सीह की बूंढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती. एक्सपर्ट कृत्रिम इनसेमिनेटर उन्नत सीड के हाई क्वालिटी वाले सीमेन से पशु को गर्भित कराना चाहिए.

कृत्रिम गर्भाधान द्वारा एक सांड़ से अनेक पशुओं को गर्भित कराया जा सकता है. इ​सलिए उन्नत सांडों का चयन संभव हो पाता है.

पशुओं की नस्ल में तेजी से सुधार होता है. कृत्रिम गर्भाधान से प्रजनन संबंधी बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है.

कृत्रिम गर्भाधान कराते समय जननांगों की बीमारियों का भी पता लग जाता है. यह तकनीक सस्ती भी है.

गाभिन कराने के बाद के सुझाव

पशु को कृत्रिम गर्भाधान कराने के 21 दिन बाद गर्मी के लक्षणों का फिर से निरीक्षण करना चाहिए.

कृत्रिम गर्भाधान कराने के 90 दिन बाद गर्न परीक्षण भी करवाना चाहिए.

तीन बार गर्भाधान कराने के बाद भी यदि गर्भ नहीं ठहरता है तो पशु चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए.

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