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Fodder: पशु के लिए सालभर इस फसल से मिलेगा हरा-सूखा चारा, पढ़ें कैसे करें बुआई

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले पशुपालकों की ये समस्या रहती है कि वो पशुओं को कैसे चारे की जरूरत पूरी करें कि उन्हें कमी न हो. इसके लिए रिजका फसल एक बेहतरीन विकल्प है. बताते चलें कि गुजरात राज्य के कच्छ जिले में रिजका फसल से वर्षभर हरा चारा हासिल किया जाता है. यह रबी मौसम में उगाई जाने वाली हरे चारे की बहुवर्षीय प्रमुख फसल है. इसका उपयोग हरे चारे और सूखे चारे दोनों रूप में किया जाता है. इसमें बहुत ही पौष्टिक गुण पाये जाते है, जोकि पशुओं के उचित विकास एवं वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं.

दलहनी कुल की फसल होने के कारण, इसके चारे में प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेड की मात्रा अधिक पाई जाती है. सूखे एवं हरे चारे के अलावा रिजका की फसल से बीज भी प्राप्त किये जाते हैं. इससे मृदा की उपजाऊ शक्ति को भी बढ़ा सकते है. रिजका को एकवर्षीय एवं बहुवर्षीय फसल के रूप में उगाया जाता है. इसकी फसल लवणीय एवं क्षारीय मुदा में भी ली जाती है. इसकी फसल से वर्षभर चारा प्राप्त होता रहता है. कच्छ जिले में मृदा एवं पानी दोनों ही क्षारीय एवं लवणीय है.

उन्नत किस्मों के बारे में पढ़ें
यहां के चारे को प्रमुख फसले ज्वार, मक्का, बाजरा रिजका इत्यादि है. रिजका एक पौष्टिक चारे की फसल है। इसमें प्रोटीन 15 प्रतिशत, पानी की मात्रा 74 प्रतिशत, रेशा 29.2 प्रतिशत, नाइट्रोजनरहित निष्कर्ष 36.4 प्रतिशत, कैल्शियम 2 प्रतिशत, फॉस्फोरस 0.48 प्रतिशत, पोटेशियम 2.43 प्रतिशत पाया जाता है. उन्नत किस्में भारत में रिजका को प्रमुख उन्नत किस्में उगाई जाती है: चेतक (एस 224), टाइप-9, आनंद-2, जीएम् एल-2, आनंद रिजका-3, आनंद रिजका 4 आरएल 88, (आरएलएस-88) आरआरबी 07-1 है.

मिट्टी और तैयारी
इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी-एच मान 6.8 से 8.5 तक होना चाहिए. अच्छे उत्पादन एवं ग्रोथ के लिए बलुई दोमट मृदा अच्छी मानी जाती है. खेत का अच्छा जल निकास होना अति आवश्यक है. तथा मृदा घुरभुरी और दानेदार होनी चाहिए. खेत में तैयारी के लिए एक जुबई मिट्टी पलट हल से तथा इसके साथ दो-तीन बार हैरी चलाकर मृदा को भुरभुरा बना लेना चाहिए. सोत की बुआई एवं विधि बुआई का सही समय 15 अक्टूबर से नवम्बर का प्रथम सप्ताह ठीक रहता है.

बुआई के लिए क्या करें
बुआई के लिए उन्नत बीज 15 से 20 कि.ग्रा. की मात्रा से प्रति हैक्टर पर्याप्त होते हैं. इन्हें पंक्तियों में सीडांडत से 15 से 20 से.मी. की दूरी एवं 1.25 सें.मी. गहराई पर बोना चाहिए बीजों का फफूंदीजनित रोगों से बचाव बीजों के लिए खेत में पहली बार रिजका की खेती करना चाहते हैं, तो बुआई के पहले बीन को 250 ग्राम प्रति 10 कि.ग्रा. बीज को राइनोबियम जीवाणु संवर्ध से उपचारित कर सकते हैं.

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