नई दिल्ली. भारतीय डेयरी एसोसिएशन (IDA) के अध्यक्ष डॉ. RS सोढ़ी ने श्वेत क्रांति 2.0 (White Revolution 2.0) पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जब हम भारत के डेयरी सेक्टर की यात्रा पर विचार करते हैं, तो हमें डॉ. वर्गीज कुरियन के दूरदर्शी नेतृत्व में 1970 के दशक की शुरुआत में शुरू की गई श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड की इस सेक्टर को बदल देने वाली ताकत याद आती है. इस आंदोलन ने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में बदल दिया. जिससे लाखों छोटे डेयरी किसानों की आजीविका में काफी सुधार हुआ. यही वजह है कि आज, हम खुद को श्वेत क्रांति 2.0 के कगार पर खड़ा देख रहे हैं. जो लगातार विकास, उत्पादकता, आर्थिक सशक्तिकरण के लिए हमारे डेयरी क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग करने पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित करता है.
उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 के लिए कुछ चीजों पर फोकस करने की जरूरत है. वाइट रेवोलुशन 2.0 का मकसद डेयरी पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि करना है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. उन्नत प्रजनन तकनीकों जैसे कृत्रिम गर्भाधान और जीनोमिक चयन के माध्यम से, बेहतर पशु पोषण के साथ, हम मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को स्थायी रूप से पाटने की उम्मीद करते हैं. जानवरों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले फीड और हैल्थ सर्विस तक बेहतर पहुंच सीधे दूध की उपज और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाएगी.
तकनीकी को मजबूत करने की जरूरत
IDA के अध्यक्ष ने कहा कि आज की तेजी से विकसित दुनिया में, डेयरी फार्मिंग में डिजिटल नवाचारों को एकीकृत करना जरूरत है. डेटा एनालिटिक्स, मोबाइल हेल्थ मॉनिटरिंग एप और अल-संचालित कृषि प्रबंधन समाधान जैसी तकनीके किसानों के संचालन को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं. ये उपकरण किसानों को निर्णय लेने, उत्पादकता और फायदे में सुधार करने में सक्षम बनाएंगी.
जैविक चारा उत्पादन की जरूरत
जहां स्टैबिलिटी वाइट रेवोलुशन 2.0 का एक मुख्य स्तंभ है तो वहीं जलवायु परिवर्तन कृषि और डेयरी के लिए एक गंभीर खतरा प्रस्तुत करता है. मीथेन उत्सर्जन जैसे मुद्दों पर ध्यान देना, पानी की खपत को कम करना और जलवायु-लचीला कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण कदम है. जैविक चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करने और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों में सुधार करने से न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों के लिए आय पैदा करने के नए रास्ते भी खुलेंगे.
डेयरी किसानों को करना होगा मजबूत
वाइट रेवोलुशन 2 का एक प्रमुख जोर किसानों की मजबूती है. खासकर महिलाओं के बीच, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. सहकारी समितियों को मजबूत करना, वित्तीय समावेशन का विस्तार करना और ट्रेनिंग व बुनियादी ढांचे तक पहुंच सुनिश्चित करना किसानों को इस बदलती स्थिति में फलने-फूलने में सक्षम बनाएगा. पनीर, दही और फोर्टिफाइड दूध जैसे वैल्यू एडेड डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने से स्थानीय और वैश्विक स्तर पर नए बाजार के अवसर पैदा होंगे.
इन कदमों को उठाने की है जरूरत
डॉ. आरएस सोढ़ी ने भारतीय डेयरी एसोसिएशन (IDA) के अध्यक्ष के रूप में, मैं श्वेत क्रांति 2.0 को एक परिवर्तनकारी (Transformational) छलांग के रूप में देखता हूं. जबकि डेयरी पहले से ही भारत के कृषि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है, हमें अभी भी इसकी पूरी क्षमता का एहसास करना है. पहले वाइट रेवोलुशन को बढ़ावा देने वाले सहकारी मूल्यों का पालन करते हुए तकनीकी नवाचार को अपनाकर, हम लाखों भारतीय किसानों के लिए अधिक टिकाऊ, लचीला और लाभदायक डेयरी उद्योग का निर्माण कर सकते हैं.
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