नई दिल्ली. मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने आज राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन, राजकोट, गुजरात में सागर परिक्रमा कार्यक्रम पर पुस्तक और वीडियो के विमोचन के लिए एक समारोह की मेजबानी की. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा कार्यक्रम के लिए पुस्तक और वीडियो विमोचन समारोह का उद्घाटन किया. ये पुस्तक और वीडियो देश में मछुआरा समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में प्रेरित करने का काम करेगी.
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि सागर परिक्रमा 5 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात से शुरू हुई और 12 चरणों में 12 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करते हुए 11.01.2024 को गंगासागर, पश्चिम बंगाल में समाप्त हुई ऐतिहासिक यात्रा के लिए अपने अनुभव साझा किए. केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि सागर परिक्रमा के दौरान समुद्री यात्रा कठिन समुद्री परिस्थितियों के कारण कभी-कभी बेहद चुनौतीपूर्ण होती थी, लेकिन एक तरह से यह सीखने का अनुभव भी था और हमारे मछुआरों के सामने आने वाली वास्तविक कठिनाइयों और दिन-प्रतिदिन की चुनौतियों को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण था.
भारत सरकार ने की कई पहल
कहा कि सागर परिक्रमा की प्रतिक्रिया, सुझाव और जमीनी अनुभव क्षेत्र के लिए नीति और योजना निर्माण और मछुआरा समुदायों की बेहतरी के लिए भारत सरकार द्वारा की जाने वाली विभिन्न पहलों में बहुत महत्वपूर्ण होंगे. रूपाला ने विशेष रूप से मछुआरों, भारतीय तटरक्षक बल, सभी तटीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों, समुद्री बोर्डों और अन्य हितधारकों द्वारा दिए गए समर्थन का भी उल्लेख किया, जिन्होंने सागर परिक्रमा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
जब फंस गए थे चिल्का झील में
केंद्रीय मंत्री ने उस घटना को याद किया जब वह सागर परिक्रमा के दौरान रात में उडीशा के चिल्का झील में फंस गए थे, और उन मछुआरों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को बचाया और फिर सुरक्षित रूप से किनारे तक पहुंचाया। श्री रूपाला ने एक उदाहरण के साथ यात्रा के महत्व पर प्रकाश डाला, जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, जिन्होंने महाराष्ट्र में सागर परिक्रमा की शोभा बढ़ाई, ने मछली पकड़ने के जाल जलने के कारण मछुआरों को हुए नुकसान के लिए तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान की, क्योंकि यह मुद्दा उनके संज्ञान में आया था. सागर परिक्रमा यात्रा.
7989 किलोमीटर का सफर तय किया
डॉ. अभिलक्ष लिखी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समारोह को संबोधित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि इस यात्रा ने 44 दिनों में 7,989 किलोमीटर की तटीय लंबाई को कवर किया, मछुआरों के मुद्दों और चुनौतियों को समझने के लिए लगभग 3,071 मछली पकड़ने वाले गांवों को छुआ है. लिखी ने यह भी बताया कि लगभग 1000 अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं और विभाग उचित कार्रवाई कर रहा है. एक महत्वाकांक्षी पहल जिसका उद्देश्य सागर परिक्रमा यात्रा को उसकी संपूर्णता में दर्ज करना है. पुस्तक का उद्देश्य सागर परिक्रमा यात्रा का विवरण देना है, जिसमें समुद्री मार्ग, सांस्कृतिक और भौगोलिक अन्वेषण और सागर परिक्रमा के सभी 12 चरणों के उल्लेखनीय प्रभावों जैसे विविध तत्वों पर सामग्री शामिल है.
मत्स्य पालन उभरता हुआ क्षेत्र है
सागर परिक्रमा कार्यक्रम भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का एक प्रमाण है, जो समुद्र के साथ देश के स्थायी संबंधों को दर्शाता है. यह पुस्तक इस महाकाव्य यात्रा के व्यापक दस्तावेज़ीकरण के रूप में कार्य करती है, जो समुद्री मार्ग, किए गए सांस्कृतिक और भौगोलिक अन्वेषणों और सागर परिक्रमा के सभी 12 चरणों में देखे गए उल्लेखनीय प्रभावों की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है. मत्स्य पालन क्षेत्र को एक उभरता हुआ क्षेत्र माना जाता है और इसमें समाज के कमजोर वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण द्वारा न्यायसंगत और समावेशी विकास लाने की अपार संभावनाएं हैं. भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक, सबसे बड़ा झींगा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा समुद्री खाद्य निर्यातक है.
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