Home मीट Sheep Farming: इस भेड़ को पालकर तीन तरह से कमाएं मुनाफा, मीट से ज्यादा होती है कमाई
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Sheep Farming: इस भेड़ को पालकर तीन तरह से कमाएं मुनाफा, मीट से ज्यादा होती है कमाई

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नर भेड़ का वजन 65 किलो और मादा का 45 किलो के करीब होता है. भेड़ मादा हर दिन औसतन 1 से 2 लीटर दूध देने में सक्षम है. इस भेड़ का पालन करके पशुपालक न सिर्फ ऊन, मांस बल्कि दूध से भी कमाई कर सकते हैं.

नई दिल्ली. लोही जिसे पकन्नी भेड़ के नाम से भी जाना जाता है या नस्ल पश्चिमी पाकिस्तान के लायलपुर और मिंटगुमरी जिले में पैदा हुई और इसका मूल क्षेत्र पंजाब है. यह मांस के उत्पादन के लिए बहुत ही बेहतर नस्ल मानी जाती है. इस नस्ल की ऊन लंबी मोटी होती है. या भेड़ कद में ऊंची और इसके कान भी लंबे होते हैं. नर भेड़ का वजन 65 किलो और मादा का 45 किलो के करीब होता है. भेड़ मादा हर दिन औसतन 1 से 2 लीटर दूध देने में सक्षम है. इस भेड़ का पालन करके पशुपालक न सिर्फ ऊन, मांस बल्कि दूध से भी कमाई कर सकते हैं.

ज्यादातर मैदान में चरना है पसंद
लोही भेड़ के ऊन की बात की जाए तो इनका ऊन कालीन बनाने के उपयोग में लिया जाता है. इसका शरीर सफेद है और सिर आमतौर पर भूरा कल या भूरा होता है. इस नस्ल की भेड़ ज्यादातर चलरा पसंद करती हैं. इन्हें फलीदार पेड़ फूल आदि लोबिया, बरसीम, फलिया खाना बहुत ही अच्छा लगता है. चारे में ज्यादातर इनको लोबिया आदि दिया जाता है. जैसे कि यह एक वार्षिक पौधा है. इसलिए इसे मक्की और ज्वार के साथ मिलकर दिया जाता है. भेड़ आमतौर पर 6 से 7 घंटे तक मैदान में चरती है. इसलिए इन्हें हरी घास और सूखे चारे की जरूरत होती है. चरने के लिए इन्हें ताजा हरी घास की जरूरत और खास तौर पर चारे वाली टिमोथी और कनेरी घास बहुत ही पसंद है.

इस तरह रखें ख्याल
अगर इस नस्ल को पालकर इससे फायदा उठाना है तो उसकी देखभाल बहुत जरूरी होती है. इस भेड़ की गर्भपात के समय से जन्म और टॉक्सीमिया से बचने के लिए गाभिन भेड़ों की फीड और प्रबंधन की उचित देखभाल की जानी चाहिए. ठंड के मौसम में प्रसव के दौरान भेड़ों को सुरक्षित रखें और उनके प्रसव के तीन चार से 6 दिन पहले अलग कमरा क्षेत्र प्रदान करना चाहिए. गर्भावस्था के अंतिम चरणों में फीड की मात्रा में इजाफा कर देना चाहिए. बच्चा पैदा होने से तीन चार सप्ताह पहले से फीड की मात्रा बढ़ा दें. जिससे दूध उत्पादन बढ़ेगा और स्वास्थ्य भी में भी इजाफा होगा.

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