नई दिल्ली. मछली उत्पादन के लिए एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को लेकर मछली पालकों में कई तरह की दुविधा की स्थिति है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे मछलियों का उत्पादन तो बढ़ रहा है लेकिन ये सवाल रहता है कि मछलियों की क्वालिटी के साथ-साथ इंसानों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि एंटीबायोटिक्स का उपयोग मुख्य रूप से उनके आहार (मेडिकेटेड फीड) के माध्यम से किया जाता है. इसके अलावा एंटीबायोटिक्स का इंजेक्शन और एंटीबायोटिक से उपचारित पानी में रखने के रूप में भी उपयोग होता है. अधिकतर समय एंटीबायोटिक्स बचे हुए आहार या मल से निकलकर तलछटी में समा जाते हैं.
बताते चलें कि मछली सेक्टर देश में तेजी के साथ बढ़ने वाला सेक्टर है. साल 2030 तक ये सेक्टर आसमान की बुलंदियों पर होगा. मछली उत्पादन स्तर में 59 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है. हालांकि इस क्षेत्र में जहां तमाम वृद्धि की बात की जा रही है वहीं एक व्यापार के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियों भी हैं. खैर ये तो रही मछली के सेक्टर के बढ़ने की बात. मछली पालन में आजकल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल खूब किया जाता है. इस वजह से ये सवाल रहता है कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करना कितना सही है.
एंटीबायोटिक्स का सही उपयोग
मछलीपालन में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग स्थानीय नियमों पर निर्भर करता है. ये नियम विभिन्न देशों के बीच व्यापक रूप से अलग-अलग होते हैं। कुछ देशों में, एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर नियम सख्त हैं. ऐसे देशों में केवल कुछ ही एंटीबायोटिक दवाओं को मछलीपालन में उपयोग के लिए लाइसेंस दिया जाता है. वैश्विक जलीय कृषि उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा अनुमेय नियमों वाले देशों में होता है. उनके उपयोग पर प्रतिबंध वाली कई नीतियों को लागू किया गया है.
क्या-क्या प्रतिबंधों में शामिल है
चिकित्सा दवाओं के नुस्खे में वृद्धि एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस का लगभग पूर्ण उन्मूलन चिकित्सा में एंटीबायोटिक दवाओं का निषेध, जो अभी भी मानव संक्रमणों के उपचार में बहुत उपयोगी है. एंटीबायोटिक उपयोग के बढ़ते नियंत्रण के साथ इनकी दवाओं के सही उपयोग के लिए पूर्व कदम, टीकों के उपयोग सहित सैनिटरी उपायों को शामिल करना है. इनसे न केवल विकसित देशों के जलीय कृषि उद्योग में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में काफी कमी आई है, बल्कि यह एक उत्पादक जलीय कृषि विकसित करने के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य है। संक्रामक रोगों को रोकने के लिए टीकाकरण एक आदर्श तरीका है.
विकल्पों का किया गया है इस्तेमाल
जलीय कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं के कई अन्य विकल्पों का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है. जीवाणु संक्रमण से बचने के लिए अहानिकारक सूक्ष्मजीवों के उपयोग, जिसे प्रोबायोटिक्स कहा जाता है, मछली के विकास के रूप में दिखा है. वैकल्पिक उपचार का एक अन्य स्रोत आवश्यक तेल हैं, जो पौधों से पाये जाते हैं. इन्हें आमतौर पर सुरक्षित पदार्थों के रूप में पहचाना जाता है. अपने रोगाणुरोधी गुणों के साथ, ये तेल मछलीपालन में वैकल्पिक रोगनिरोधी और चिकित्सीय एजेंट का गठन कर सकते हैं.
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