नई दिल्ली. मत्स्य पालन में कारोबार में भी बहुत अवसर है. मत्स्य पालन में हाथ आजमा कर किसान लाखों में आमदनी करते हैं. वहीं सरकार मछली पालन और झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए वक्त-वक्त पर योजनाएं चलाती रहती है. इस सेक्टर से लोगों को जोड़ने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है. वहीं मछली और झींगा बीज भी मुफ्त में वितरित किए जाते हैं. इसी क्रम में एमपीईडीए-आरजीसीए के पायलट स्केल ब्रूडस्टॉक मल्टीप्लिकेशन सेंटर (बीएमसी) ने मेक इन इंडिया पहल के रूप में सीएए-अनुमोदित झींगा हैचरी मेसर्स को एसपीएफ टाइगर झींगा ब्रूडस्टॉक की आपूर्ति की.
वैसाखी बायो-रिसोर्सेज (पी) लिमिटेड-यूनिट-II विजयनगरम जिले के भोगापुरम में सीएए-अनुमोदित झींगा हैचरी मेसर्स को एसपीएफ टाइगर झींगा ब्रूडस्टॉक उपलब्ध कराया गया. वैसाखी बायो-रिसोर्सेज (पी) लिमिटेड-यूनिट-II में एमपीईडीए-आरजीसीए ब्रूडस्टॉक से उत्पादित बीजों की उद्घाटन बिक्री और लॉन्चिंग कार्यक्रम 23 मार्च को मैसर्स में आयोजित किया गया था.
कार्यक्रम में मौजूद थे कई किसान
कार्यक्रम के दौरान वैसाखी बायो-रिसोर्सेज (पी) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रवि कुमार येलांकी ने एमपीईडीए-नामांकित किसान श्री को 7 लाख एसपीएफ टाइगर झींगा बीज (पीएल 12) सौंपे और उन्होंने इसके बारे में तमाम जानकारी भी दी. बताते चलें कि मंडली बीले, बापटला जिले के रेपल्ले मंडल के लंकेवानीडिब्बा गांव की रहने वाली हैं. वहीं उद्घाटन समारोह में एमपीईडीए और एमपीईडीए-आरजीसीए के अधिकारी, वैसाखी बायो-रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और प्रगतिशील किसान उपस्थित थे.
व्यवसायीकरण में मिलेगी मदद
कार्यक्रम में रवि कुमार येलंकी ने टाइगर झींगा परियोजना के घरेलूकरण के माध्यम से पालतू टाइगर झींगा ब्रूडस्टॉक के व्यावसायीकरण के लिए इस प्रयास के लिए एमपीईडीए के अध्यक्ष, एमपीईडीए के निदेशक और एमपीईडीए-आरजीसीए के अन्य सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इसे प्रोत्साहन देना जरूरी है. ऐसे करने से इसका व्यवसायीकरण करने में मदद मिलेगी.
क्या होता है ब्लैक टाइगर झींगा
बता दें कि ब्लैक टाइगर झींगे क्वींसलैंड की सबसे बड़ी, सबसे तेजी से बढ़ती जलीय कृषि गतिविधि है. झींगे फसल मई तक तैयार हो जाती है. ब्लैक टाइगर झींगे की अधिकांश फसलें घरेलू बाजार में बेची जाती हैं. झींगे को धोया जाता है, वर्गीकृत किया जाता है और आम तौर पर बेचने से पहले पकाया जाता है.
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