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Shrimp Farming: मछली के साथ क्यों जरूरी है झींगा पालन का जिक्र

shrimp farming in india
झींगा मछली पालन की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. झींगा पालन अब सिर्फ आंध्रा प्रदेश और गुजरात तक ही सीमित नहीं रह गया है. बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी झींगा पालन किया जा रहा है. यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी झींगा पालन किया जा रहा है. हालांकि इस बात में कोई शक नहीं है कि घरेलू बाजार में झींगा की डिमांड कम है, लेकिन विदेशों में इसकी ​मांग बढ़ रही है. झींगा एक्सपोर्ट के मामले में देश ने दुनिया के कई दूसरे देशों को पछाड़ दिया है. भारत में उत्पादित होने वाले झींगा को चीन-अमेरिका जैसे बड़े देश के लोग खूब पसंद करते हैं. जिसके चलते केन्द्र सरकार कहीं भी जब मछली का जिक्र करती है तो झींगा पालन पर भी जोर देती है. इस सेक्टर को लेकर ये दिक्कत जरूर है कि घरेलू बाजार में इसकी मांग कम है लेकिन झींगा की खपत को बढ़ाने के लिए झींगा लाला जैसी फूड चेन पर काम किया जा रहा है. कंपनी ने हाल ही में चंडीगढ़, पंजाब और पुणे, महाराष्ट्रं में रेस्टोरेंट शुरू किया है.

हर जगह झींगा पालन संभव नहीं
बाजार में झींगा के दाम उसके वजन नहीं बल्कि साइज के मुताबिक तय किए जाते हैं. यही कारण है कि झींगा की फसल साल में तीन से चार बार तैयार हो जाती है. जबकि पानी फसल के मुताबिक मिल जाए तो उत्पादन भी खूब तेजी से होता है. जबकि झींगा किसी भी दूसरी मछली से ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है, लेकिन खास पानी के चलते इसका पालन हर जगह करना संभव नहीं है. झींगा मछली पालन के संबंध में पंजाब फिशरीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर कर्मजीत सिंह ने बताया कि मुक्तसर साहिब जिले के रत्नाखेड़ा गांव में साल 2016-17 में झींगा मछली पालन को लेकर एक ट्रायल किया जा चुका है. तब एक एकड़ जमीन पर झींगा मछली पालन किया गया था. चार महीने में जब झींगा मछली तैयार हुई तो वजन करने पर चार टन यानि 40 क्विंटल था.

मुनाफा कमाने के लिए बेहतर है झींगा पालन
झींगा हैचरी एसोसिएशन के अध्याक्ष रवि कुमार येलांकी का कहना है कि 14-15 ग्राम वजन वाला झींगा तालाब में 70 से 80 दिन में पूरी तरह से तैयार हो जाता है. यदि कोई कमी रह गई तो भी सिर्फ 10 दिन का वक्त और लगता है. झींगा फसल 90 दिन में हर हाल में तैयार हो जाती है. जबकि बड़े साइज का झींगा तैयार करने में चार महीने का ही वक्त लगता है. यही वजह है कि एक साल में झींगा की तीन से चार बार तक फसल तैयार कर ली जाती है. उन्होंने बताया कि खारी मिट्टी झींगा मछली पालन के लिए बहुत ही ज्यादा मुफीद है. इसी तरह के पानी में झींगा उत्पादन तेजी के साथ किया जा सकता है. जीवन चक्र पर जाएं तो किसान साल में तीन से चार बार झींगा तैयार कर बाजार में बेच कर मुनाफा कमा सकता है.

चीन और अमेरिका से खूब आती है डिमांड
झींगा एक्सपर्ट और मछलियों के डॉक्टर मनोज शर्मा का कहना है कि वैसे तो देश में कम लेकिन विदेशों के बाजार में हर तरह के साइज वाले झींगा की मांग की जाती है. खासतौर पर चीन और अमेरिका में तो भारत का झींगा की बहुत पसंद किया जाता है. इन देशों में बड़े साइज का झींगा ज्यादा खाया जाता है. वहीं छोटे साइज में 14 से 15 ग्राम की बात करें तो इसकी भी डिमांड ज्यादा होती है. एक किलो तौल वजन में यह 60 से 70 पीस तक आ जाता है. नौ ग्राम का झींगा भी बाजार में लोग मांगते हैं लेकिन इसकी डिमांड ज्यादा नहीं की जाती है. वैसे तो इसके रेट विदेशी बाजारों के चलते कम और ज्यादा होते हैं, लेकिन अभी 350 से 360 रुपये के आसपास ही चल रहे हैं.

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