Home पोल्ट्री Poultry: गांव में शुरू करें पोल्ट्री फार्मिंग हो जाएंगे मालामाल, पश्चिमी देशों में अंडों और मीट की है खूब मांग
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Poultry: गांव में शुरू करें पोल्ट्री फार्मिंग हो जाएंगे मालामाल, पश्चिमी देशों में अंडों और मीट की है खूब मांग

chicken and egg rate
चिकन और अंडों की प्रतीकात्मक तस्वीरें

नई दिल्ली. रूरल एरियाज में पोल्ट्री फार्मिंग का मुख्य उद्देश्य नेचुरल वेस्टेज प्राकृतिक खाद्य आधार जैसे रसोई वेस्टेज, गिरे हुए अनाज, कीड़े, कृमि, कोमल पत्तियां का इस्तेमाल करके घर के आंगन पोल्ट्री फार्मिंग की जा सकती है. एक्सपर्ट की मानें तो इससे बहुत ही पौष्टिक अंडे और पोल्ट्री मीट का उत्पादन होगा. जिसके सेवन करने से इंसानों को बहुत फायदा होगा. इन अंडे और मीट के उत्पादन से प्रोटीन कुपोषण को कम करने और ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में अंडे और मांस की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सकता है.

ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि गांव में अंडे और मीट के उत्पादन से ग्रामीण इलाकों के किसानों को अच्छा खासा फायदा हो सकता है. उन्हें कम लागत में अच्छी इनकम मिल सकती है. ग्रामीण इलाके के लोग चाहें तो इस कारोबार में हाथ आजमा सकते हैं. आइए कुछ प्वाइंट्स में जानते हैं कि कैसे ग्रामीण इलाकों में पोल्ट्री फार्मिंग फायदेमंद है.

  1. ग्रामीण लोगों के मुख्य खाद्य (जिसमें आमतौर पर प्रोटीन में कमी होती है) में, ग्रामीण पोल्ट्री पालन द्वारा (अंडे और कुक्कुट मांस के रूप में) आसानी से पचने योग्य / प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है. ग्रामीण कुक्कुट पालन से अंडे और कुक्कुट मांस के उत्पादन को बढ़ा कर गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं और बढ़ते बच्चों में प्रोटीन कुपोषण को कम किया जा सकता है.
  2. ग्रामीण पोल्ट्री फार्मिंग का मकसद घर-आँगन में उपलब्ध इंसानों के उपभोग के लिए अनुपयुक्त वेस्टेज, प्राकृतिक खा‌द्यों (कीड़े, चींटियां, गिरने वाले अनाज, हरी घास, रसोई अपशिष्ट इत्यादि) को पौष्टिक अंडे और कुक्कुट मांस में बदलना है, जो मानव उपभोग के लिए अत्यधिक पौष्टिक खाद्य स्रोत के रूप में उपयुक्त है.
  3. इस कारोबार में कम निवेश लागत के साथ अतिरिक्त आय हासिल की जा सकती है.
  4. ग्रामीण पोल्ट्री फार्मिंग मूल रूप से घर-आँगन / मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों में ही पाला जाता है और इसमें इंटरग्रेटेड पोल्ट्री फार्मिंग प्रणाली की अपेक्षा पोल्ट्री डेनसिटी काफी कम होती है. जिससे फॉस्फोरस और नाइट्रोजन उत्सर्जन भी काफी कम होता है और इस तरह पर्यावरण प्रदूषण प्रति पोल्ट्री प्रोडक्ट इकाई भी कम होती है.
  5. ग्रामीण पोल्ट्री फार्मिंग अन्य कृषि संचालन के साथ अच्छी तरह से एकीकृत होता है. ये पोल्ट्री खेतों में उपलब्ध अनाज और कीड़ों को खाते हैं. जबकि इन पक्षियों (15) कुक्कुट से 1-1.2 किग्रा खाद का उत्पादन/ प्रतिदिन) का विष्ठा कार्बनिक खाद के रूप में मिट्टी की उर्वरता बढाने के काम आता है.
  6. इंटरग्रेटेड पोल्ट्री फार्मिंग के प्रोडक्ट (अंडे और मांस) की तुलना में ग्रामीण कुक्कुट पालन / मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों से प्राप्त पोल्ट्री प्रोडक्ट ज्यादा दाम पर मिलता है. इसके अलावा पशु कल्याण और नैतिकता के बारे में उपभोक्ता जागरूकता के कारण, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों में पाले जाने वाले कुक्कुट उत्पादों के लिए प्राथमिकता बढ़ गई है.
  7. इंटरग्रेटेड पोल्ट्री फार्मिंग की तुलना में ग्रामीण कुक्कुट पालन / मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों से उत्पादित अंडे और मांस में कम कॉलेस्ट्रॉल कम पाया गया है. मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों में रेशेयुक्त खाद्य के उच्च अंतर्ग्रहण और जड़ी-बूटियों की उपलब्धता व कुक्कुट की सक्रियता अंडे में कम कोलेस्ट्रॉल संकेंद्रण का कारण हो सकता है. घर-आंगन में उपलब्ध हरी पत्तेदार सब्जियों की खपत के कारण मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों से उत्पादित अंडे और माँस का रंग भी ज्यादा आकर्षक दिखता है.
  8. ग्रामीण कुक्कुट पालन / मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों से प्रोडक्टिव अंडे और मांस की मांग पश्चिमी और विकसित देशों में लगातार बढ़ रही है जिससे इनके निर्यात मूल्य में भी सतत वृद्धि हो रही है.

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