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Kisan Andolan: किसान आंदोलन के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. एमएसपी समेत तमाम मांगों को लेकर अभी भी शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हजारों किसान दिल्ली चलो बुलावे के तहत डेरा डाले हुए हैं. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत बुलाई गई है. जबकि दूसरी ओर किसानों के आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई. जिसमें किसानों को सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन करने से रोकने की मांग की गई थी. जिसपर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता का हिदायत दी कि वो हाईकोर्ट में जाएं.

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ नंद किशोर गर्ग को कहा है कि वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि हाईकोर्ट ऐसे ही मामले पर सुनवाई कर रहा है. सवालिया लहजे में कहा कि जब हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश भी जारी किए हैं तो आप सुप्रीम कोर्ट में समानांतर कार्रवाई क्यों चाहते हैं?

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी बात रखें
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देगा तो हाईकोर्ट अपने हाथ खींच लेगा, तो इससे किसका उद्देश्य पूरा होगा? इसलिए बेहतर है कि याचिकाकर्ता आप अपनी बात पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष रखें. वहां कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली पीठ ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. बताते चलें कि पंजाब-हरियाणा और दिल्ली यूपी की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील शशांक देव सुधि ने कहा कि शाहीन बाग मामले मे भी धरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट विस्तृत आदेश पारित कर चुका है.

सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन की न दी जाए इजाजत
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि प्रदर्शन के मद्देनजर किसानों और प्रशासन की ओर से किए गए इंतजाम की वजह से दिल्ली से हरियाणा अपने कॉलेज जाने में उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह सार्वजनिक स्थल को रोकने को लेकर धरने प्रदर्शन पर आदेश भी पारित किया है. इस तरह के प्रदर्शन सड़कों, सार्वजनिक पार्कों या लोक उपयोग के स्थलों पर करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.

अब हम एक हो गए हैं
किसानों के संगठन एसकेएम में गुरनाम सिंह चढूनी की वापसी हो गई है. आंदोलन के सवाल पर चढूनी ने कहा है कि जब पिछले साल आंदोलन समाप्त हुआ तब पूरा एसकेएम एक साथ था. हालांकि उसके बाद हमें ये कहते हुए बाहर कर दिया गया है कि आप चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हो. इसके बाद कुछ और लोग भी एसकेएम से अलग हुए. जबकि एक अन्य संगठन ने आंदोलन शुरू दिया. इसके बाद उनके पास एसकेएम से प्रस्ताव आया कि हम लोग एक हो जाएं आंदोलन को बल मिलेगा. इस वज से हम एक हो गए हैं और 14 मार्च को दिल्ली चलो आंदोलन में मजबूती से अपनी बात रखेंगे.

विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत बुलाई गई है. किसान एमएसपी कानूनी की गारंटी, कर्ज मुक्ति, वृद्धा पेंशन, श्रम संहिता को वापस लेने समेत कई मुद्दों पर 13 फरवरी से विरोध कर रहे हैं. वही एक युवा किसान की मौत के बाद इसे कुछ दिन के लिए रोक दिया गया था. अब संयुक्त किसान मोर्चा और गैर राजनीतिक किसान मजदूर मोर्चा इस प्रदर्शन के तहत दिल्ली चलो में एक बार फिर से इकट्ठा होने लगे हैं. केएमएम के मुखिया सरवन सिंह पंढेर ने एलान कर दिया है कि शंभू और खनौरी दोनों तरफ विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

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