नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव का बिना शर्त माफी का हलफनामा भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. इस मामले को लेकर जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि इन लोगों ने तीन तीन बार कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है. इन लोगों ने गलती की है, इसलिए इन लोगों को नतीजा भुगतना ही होगा. वहीं जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आप हलफनामे में धोखाधड़ी कर रहे हैं. इसे किसने तैयार किया? मुझे आश्चर्य है. वहीं जस्टिस कोहली ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको ऐसा हलफनामा नहीं देना चाहिए था.
वहीं इस मामले में बाबा रामदेव की तरफ से उनका पक्ष रखने वाले वकील रोहतगी ने कहा कि हमसे चूक हुई है. इसके जवाब ने सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चूक, बहुत छोटा शब्द है. वैसे भी हम इस पर फैसला करेंगे. कोर्ट ने कहा कि हम इसको जानबूझ कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना मान रहे हैं और हम इस हलफनामे को ठुकरा रहे हैं.
गलती की है तो भुगतना भी पड़ेगा
स्वामी रामदेव का बिना शर्त माफी का हलफनामा पर सुनाई करते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि आदेश के बाद भी हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते. हम हलफनामा को ठुकरा रहे हैं ये केवल एक कागज का टुकड़ा है. सख्त टिप्पणी की और बोले कि हम अंधे नहीं हैं, हमें सब दिखता है. इसके जवाब में रोहतगी रामदेव का पक्ष लेते हुए बोले कि लोगों से गलतियां होती हैं. तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गलतियां करने वालों को भुगतना भी पड़ता है. फिर उन्हें तकलीफ़ उठानी पड़ती है. हम इस मामले में इतने उदार नहीं होना चाहते.
आयुष मंत्रालय पर भी उठाया सवाल
एससी ने कहा कि माफ़ीनामा कागज़ी है. हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं. हम इसे वचनबद्धता का जानबूझकर उल्लंघन मानते हैं. हलफ़नामे को अस्वीकार करने के बाद कुछ और के लिए आप तैयार रहें. ये भी कहा कि हम केंद्र सरकार के जवाब से भी संतुष्ट नहीं हैं. आयुष मंत्रालय ने भी हलफनामा दाखिल कर स्वामी रामदेव और दिव्य फार्मेसी के दावे के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. जस्टिस कोहली ने कहा कि आयुष मंत्रालय अब तक कार्रवाई के लिए इंतजार क्यों कर रहा था. अब तक किसी भी अदालत के पास इसके खिलाफ क्यों नहीं गया?
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