Home डेयरी Dairy Animal: घी बनाने के लिए इस भैंस का दूध सबसे अच्छा, रिसर्च में हुआ खुलासा, पढ़ें पूरी डिटेल
डेयरी

Dairy Animal: घी बनाने के लिए इस भैंस का दूध सबसे अच्छा, रिसर्च में हुआ खुलासा, पढ़ें पूरी डिटेल

भदावरी भैंस अपने दूध में अधिक वसा के लिए मशहूर है. भदावरी भैंस यमुना और चंबल के दोआब में पाई जाती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. डेयरी फार्म में हमेशा ही ज्यादा दूध देने वाली पशुओं की अहमियत ज्यादा होती है. पशुपालकों की ये कोशिश होती है कि ऐसे पशुओं को पालें ​जो ज्यादा दूध दे. वैसे तो हरियाणा की मुर्राह नस्ल और पंजाब की नीली रावी इस मामले में आगे नजर आती है लेकिन बात जब दूध से घी बनाने की आती है तो बुंदेलखंड की भदावरी भैंस इन दोनों को पीछे छोड़ती नजर आ रही है. यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि भदावरी भैंस के दूध में 8.3 फीसदी घी होता है. जबकि नीली रवि और मुर्राह में 7 फीसदी.

ग्रासलैंड के वैज्ञानिकों को कहना है कि भदावरी भैंस पर किए गए रिसर्च में यह बात साबित हो चुका है कि ये मुर्राह और नीली रावी से बेहतर नस्ल है. रिसर्च से जुड़े रहे डॉ. पुरुषोत्त शर्मा और डॉ. ब्रदी प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि डेयरी का व्यवसाय करने वाले पशुपालकों के लिए भदावरी नस्ल एक बेहतर नस्ल साबित हो सकती है.

नस्ल सुधार पर हो रहा है काम
वैसे तो देशभर में भैंसों की 20 प्रजातियां हैं. जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने के मामले में हरियाणा की मुर्राह और पंजाब की नीली रवि का नंबर आता है. यह दोनों प्रजातियां 10 से 15 लीटर तक दूध देती हैं लेकिन दूध से बनने वाले घी की बात करें तो दोनों ही नस्ल की भैंस भदावरी से पीछे नजर आती हैं. उत्तर प्रदेश के चंबल क्षेत्र में पाए जाने वाली भदावरी नस्ल की भैंस पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (ग्रासलैंड) और केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार काम कर रहा है. इनके नस्ल सुधार और संरक्षण पर काम किया गया है.

तेजी से बढ़ रही है इसकी संख्या
बताया जा रहा है कि बुंदेलखंड में भदावरी भैंस की संख्या बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान के लिए स्पर्म भी उपलब्ध करा रहा है. अभी तक लाखों की संख्या में स्पर्म के डोज पशुपालकों को दिए जा चुके हैं. झांसी ग्रासलैंड और भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के वैज्ञानिकों की कोशिशों के बाद विलुप्त हो रही, इस नस्ल की भैंस की संख्या तेजी से बढ़ रही है. साल 2001 की पशु जनगणना में इसकी संख्या एक लाख थी जबकि 2019 की जनगणना में 20 लाख तक पहुंच चुकी है.

दिल के लिए भी फैट है बेहतर
वैज्ञानिकों ने बताया कि भदावरी भैंस के दूध में पाई जाने वाली गुणवत्ता की जब जांच की गई तो बेहतरीन रिजल्ट सामने आया. जांच में सामने आया कि भदावरी के दूध में 77.30 फीसदी संतृप्त फैट और 22.61 फीसदी असंतृप्त वसा है. जबकि इसके दूध के घी में पाए जाने वाला फैट वनस्पति व तेलों में मिलने वाले फैट से अच्छा होता है. इसका दिल की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

डेयरी

Dairy Goat: एंग्लो-न्युबियन बकरी की क्या है खासियत, कैसे करें इसका पालन, पालने के क्या हैं फायदे

अगर आप बकरी पालन करना चाहते हैं तो एंग्लो-न्युबियन बकरियां जो अपने...

अंजोरी बकरी दो साल के अंतराल में तीन बार बच्चे देती है. ये उसकी खासियत है.
डेयरी

Chhattisgarh Goats Breeds: छत्तीसगढ़ की पहचान है अंजोरी बकरी, जानें इसकी खासियत

अंजोरी बकरी दो साल के अंतराल में तीन बार बच्चे देती है....

यह एक छोटे आकार की लेकिन मजबूत नस्ल है. इन गायों का सिर चौड़ा होता है, जबकि माथा सपाट और सीधा होता है. कूबड़ आकार में छोटे से मध्यम आकार का होता है.
डेयरी

Native Breeds Of Cow: छत्तीसगढ़ की पहचान है कोसली गाय, दूध ऐसा जो दूर कर दें बीमारियां

यह एक छोटे आकार की लेकिन मजबूत नस्ल है. इन गायों का...