Home पशुपालन Theileriosis: देश के 88 शहरों में फैल सकती है पशुओं के खून में होने वाली ये खतरनाक बीमारी, पढ़ें कैसे करें बचाव
पशुपालन

Theileriosis: देश के 88 शहरों में फैल सकती है पशुओं के खून में होने वाली ये खतरनाक बीमारी, पढ़ें कैसे करें बचाव

Animal Fodder, pashudhan beema yojana, uttar pradesh raajy raashtreey pashudhan mishan,
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. थीलेरियोसिस रोग गाय-भैंस में बीलेरिया एनूलाटा एवं भेड़-बकरी में थौलेरिया ओविस नामक रक्त में पाए जाने वाले परजीवी से होता है. कम उम्र के बछड़े इस रोग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते है. इस रोग का प्रकोप गर्मी और बरसात के मौसम में अधिक होता है, क्योंकि इस मौसम में रोग संचरण करने वाली किलनियों की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा हो जाता है. वहीं उच्च तापमान एवं आर्द्रता किलनियों की वृद्धि के लिए अच्छा वातावरण देती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि समय रहते इस रोग का उचित उपचार होना बेहद जरूरी है. अगर ऐसा न हो तो 90 प्रतिशत पशुओं की मौत हो जाती है. इस रोग का फैलाव गाय-भैंसों व बछड़ों में खून चूसने वाली किलनी हाइलोमा एनालोटिकम द्वारा होता है.

बताते दें कि इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा उत्तर प्रदेश में है. जिसके 24 शहर चपेट में आ सकते हैं. वहीं झारखंड में भी इतने ही शहर में इस बीमारी के फैलने का खतरा है. जबकि हरियाणा में एक, गोवा में एक, केरल में 13 मणिपुर में दो, उडिशा में एक, पंजाब में एक? त्रिपुरा में एक और वेस्ट बंगाल में 14 शहर इसकी चपेट में आ सकते हैं. बताते चलें कि थेलेरियोसिस बेहद खतरनाक मवेशी रोग है, जो किलनी से फैलता है, इससे एनीमिया हो जाता है. कभी-कभी ये इतना खतरनाक हो जाता है कि पशु की मृत्यु तक हो जाती है.

थीलेरियोसिस रोग के लक्षण:
-इस रोग से प्रभावित पशु में लगातार सामान्य की तुलना में बहुत ज्यादा बुखार रहता है.
-स्केपूला के बगल वाले लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथि) में सूजन आ जाती है जो स्पष्ट रूप से दिखती है.
-हृदय गति एवं श्वसन गति बढ़ जाती है. नाक से पानी, आंखो से स्त्राव एवं खासी आने लगती है.
-रोगग्रस्त पशु के शरीर में खून की कमी हो जाती है.
-भूख नहीं लगने के कारण पशु खाना-पीना कम कर देता हैं, जिसकी वजह से पशु अत्यधिक कमजोर हो जाता है.

  • दुधारू पशु के दुग्ध उत्पादन में गिरावट होने लगती है.
    -कुछ समय पश्चात्त बुखार कम होने के साथ-साथ पशु में पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसकी वजह से पशु का मूत्र भी पीला हो जाता है.
  • कभी-कभी संक्रमित पशु को खूनी दस्त भी होने लगतें हैं.
    -उचित उपचार न मिलने पर संक्रमित पशु की मृत्यु भी हो जाती है एवं मृत्यु दर गर्भवती गायों में सबसे अधिक होती है.

रोग की पहचान एवं जांच:
-इस रोग की पहचान प्रमुख लक्षणों (स्केपूला के बगल वाले लिम्फ नोड में सूजन) के आधार पर की जाती है.
-इसके अलावा आसपास के क्षेत्र में किलनियों का पाया जाना भी इस रोग का कारण है.
-जांच के लिए खून के पतले क्लीयर एवं लिम्फ नोड्स व यकृत की बायोप्सी की जानी चाहिए जिससे परजीवी की उपस्थिति का पत्ता लगाया जा सके.
-इसके अलावा पीसीआर एवं सीएफटी द्वारा भी इस रोग की जांच की जा सकती है.

रोग का उपचार:
-थीलेरियोसिस रोग के इलाज के लिए बुपास्वाकियोनोन दवा का प्रयोग
पशुचिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए.
-एनीमिया की स्थिति में आयरन के टीके लगाना उचित रहेगा.
-पशु के आवास स्थल को चूने एवं कीटनाशक से धोना चाहिए तथा आवास स्थल की चूने से पुताई करनी चाहिए.
-इस रोग से बचाव के लिए रक्षावैक टी टीका (3 मिली) 2 वर्ष के ऊपर के गाय व गाय के बछड़ों के गर्दन में त्वचा के नीचे लगवाना चाहिए और इस रोग की पूर्ण रोकथाम के लिए प्रतिवर्ष इस टीके को लगवाना चाहिए. यह टीका ब्याहने वाली गायों को नहीं लगाते हैं.
-किलनियों के नियत्रण के लिए 10 प्रतिशत साइपरमैयरीन स्प्रे से पशु के शरीर पर छिड़काव करना चाहिए तथा आइवरमैक्टीन इंजेक्शन 0.2 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की दर से पशु को दिया जाना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: क्यों होता है पशुपालन में सेक्स्ड सार्टेड सीमन का इस्तेमाल, क्या हैं इसके फायदे

सेक्स्ड सार्टेड सीमन की हर एक स्ट्रा पशुपालकों के लिये 100 रुपये...

Foot-and-mouth disease, lameness disease, black quarter disease, strangulation disease, hemorrhagic septicemia, HS, live stock, live stock animals, animal husbandry, animal husbandry, animals sick in rain
पशुपालन

Dairy Animal Fodder: पशुओं के लिए हरा और सूखा दोनों चारा मिलता है इस फसल से, डिटेल पढ़ें यहां

आधी मात्रा व फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा को बुवाई के...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Dairy Farm: 10 प्वाइंट्स में जानें कैसा होना चाहिए डेयरी फार्म का डिजाइन ताकि हैल्दी रहे पशु

क्षेत्र की जलवायु भी महत्वपूर्ण है और पशु आवास सुविधाओं के निर्माण...