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Fish Farming: बिना पानी के चार दिनों तक जिंदा रह सकती है ये मछली, पढ़ें इसकी खासियत

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. दुनियाभर में करीब 34 हजार प्रकार की मछलिया हैं. अलग-अलग मछलियां, अलग-अलग पानी में पाली जाती हैं. मसलन, ताजे पानी में, खारे पानी में और ठंडे पानी में. सभी मछलियों को अपनी क्षेत्रीय वेदर कंडीशन के हिसाब से मछली किसान पालते हैं. जैसे ठंडे इलाकों में रहने वाले किसान ठंडे पानी में रहने वाली मछलियों को पालते हैं. इससे उन्हें मुनाफा भी होता है. अगर वो ठंडे पानी की मछलियों को दूसरे पानी में पाला जाए तो हो सकता है कि इससे उतना फायदा न मिले. इसलिए जरूरी है कि एक्स्पर्ट की राय भी ले ली जाए. ताकि मछली पालन में फायदा उठाया जा सके.

मछलियों कई प्रजातियां हैं. इसी में से कुछ प्रजातियों के बारे में हम यहां जानकारी दे रहे हैं. जिन्हें पालकर किसान अच्छी इनकम हासिल कर सकते हैं. आइए डिटेल में जानते हैं.

फेदरबैक्स मछली
फेदरबैक्स बहते हुए पानी के लिए अनुकूल मानी जाती हैं. ये आमतौर पर नदियों, झीलों, जलाशयों और तालाबों में गहरे और साफ पानी में व्यापक रूप से रहती हैं. इन मछलियों की खासियत ये है कि अपना भोजन खुद ही तलाशती रहती हैं. ये मांसाहारी और शिकारी मछली हैं. ये जलीय कीट, मोलस्क्स, झींगे और छोटी मछलियों को खाती हैं. जबकि जीवन के शुरुआती चरण में जलीय पौधों की नरम जड़ें खाती हैं. इन पौधों से इन्हें जरूरत के मुताबिक पोषण मिलता है. इन मछलियों का बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है.

सांप के सिर वाली मछली
स्नेकहेड यानि सांप के सिर वाली मछली जो मीठे पानी के पर्सीफोर्मिस मछली परिवार चन्निडे की सदस्य हैं, ये अफ्रीकन मछली है और एशिया के कुछ हिस्से में पाई जाती है. ये दलदली पानी में रहती हैं और उनके गलफड़े इस तरह की कंडीशन में सांस लेने के लिए अनुकूलित होते हैं. वे पानी से बाहर चार दिनों तक जीवित रह सकती हैं. बशर्ते कि वो गीली हों. स्नेकहेड प्रारंभिक जीवन चरणों के दौरान प्लवक, जलीय कीड़े और मोलस्क का सेवन करती हैं. जैसे-जैसे ये बड़ी होती हैं. शिकारी और नरभक्षी बन जाती हैं. इस मछली के मांस टेस्ट अच्छा होता है. इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं.

छोटी स्वदेशी मछली प्रजातियां
छोटी स्वदेशी प्रजातियों की मछलियां इन्हें इसलिए कहा जाता है कि अपने जीवन चक्र में तैयार होने और बूढ़ी होने तक अधिकतम 25-30 सेमी के आकार तक बढ़ती हैं. ये नदियों और सहायक नदियों, बाढ़ प्लेन, तालाब और टैंक, झीलें, बील, धाराएं, और धान के खेतों में आसानी से रह लेती हैं. भारत में, 877 स्थानीय स्वच्छ पानी की मछली प्रजातियों में से लगभग 450 छोटी स्वदेशी मछली प्रजातियां (SIFS) हैं. ताजे पानी में SIFS की अधिकतम विविधता उत्तर पूर्व क्षेत्र से, पश्चिमी घाट और मध्य भारत में है. लगभग 62 SIFS को खाद्य मछली के रूप में जाना जाता है. जबकि 42 प्रजातियां सजावटी मछली के रूप में हैं. कुछ उपजाने जाने वाली SIFS मोला, क्लाइम्बिंग पर्च, बार्ब्स, बाटा, आदि हैं.

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