नई दिल्ली. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, राजीव रंजन सिंह ललन सिंह ने पटना में भारतीय डेयरी संघ के 51वें डेयरी उद्योग सम्मेलन का उद्घाटन किया. यहां एनडीडीबी अध्यक्ष डॉक्टर मीनेश शाह ने ‘भारतीय डेयरी वैश्विक विकास स्थानीय ताकत’ पर जानकारी दी. डॉक्टर शाह ने बताया कि सबसे बड़ी स्थानीय ताकत 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों की सहकारी संरचना है, जिनमें अधिकांश छोटे और सीमांत किसान हैं. कैसे यह यात्रा अमूल के गठन से शुरू हुई, जिसके कारण देश भर में आनंद पैटर्न को दोहराने के लिए एनडीडीबी का गठन हुआ. उन्होंने भारतीय डेयरी को और आगे ले जाने के लिए विजन और रणनीतियों को बताते हुए इसकी ताकत और चुनौतियों के बारे में बात की.
एनडीडीबी ने ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम से भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया. अब, डेयरी सहकारी समितियों के विस्तार और मजबूती के लिए ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के तहत श्वेत क्रांति 2.0 शुरू की गई है, जिसमें सहकारिता मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय महत्वपूर्ण रोल निभा रहे हैं और एनडीडीबी को इसे लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है.
एनडीडीबी अध्यक्ष डॉक्टर शाह ने बताया, कि एनडीडीबी डेयरी विकास गतिविधियों के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है और राज्य सरकारों के विशेष अनुरोध पर यह कुछ फेडरेशन और दूध संघों का मैनेजमेंट भी कर रही है. डॉक्टर शाह ने कहा, कि हमारी दूसरी ताकत हमारी स्थानीय नस्लें हैं, जो हमारी विविध जलवायु के लिए अधिक अनुकूल हैं, क्योंकि ये गर्मी सहने योग्य, रोग प्रतिरोधी आदि हैं. हमारे स्वदेशी मवेशियों और भैंसों की उत्पादकता में सुधार के लिए आरजीएम जैसी संरचित योजनाएं लागू की जा रही हैं.
इसे आगे बढ़ाने के लिए, कई उन्नत सहायक प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें पीटी/पीएस कार्यक्रमों के माध्यम से आने वाले बैलों से उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य खुराक का उत्पादन, एआई कवरेज का विस्तार, एनडीडीबी द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित गौसॉर्ट तकनीक के माध्यम से सेक्स सॉर्टेड वीर्य खुराक का उपयोग, आनुवंशिक प्रगति में तेजी लाने के लिए मवेशियों और भैंसों की जीनोटाइपिंग के लिए स्वदेशी रूप से विकसित चिप्स गौचिप और महिषचिप के माध्यम से जीनोमिक चयन आदि शामिल हैं.
दूध खरीद और बिक्री को अधिक सुरक्षित रखना डॉक्टर शाह ने बताया कि हमारी तीसरी ताकत पशुपालन, इनपुट सेवाओं, दूध खरीद, दूध को अधिक समय सुरक्षित रखना है. उन्होंने एनडीडीबी द्वारा विभिन्न विकेन्द्रीकृत और केन्द्रीकृत मॉडलों, ऊर्जा कुशल प्रसंस्करण प्रणालियों, अन्य उत्पादों के लिए नई मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण आदि के माध्यम से बायोगैस और खाद प्रबंधन पहलों पर भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे पास कई ताकतें हैं, जिनका हम लाभ उठा रहे हैं, लेकिन हमें उत्पादकता, रोग नियंत्रण, गुणवत्ता आश्वासन, जलवायु परिवर्तन आदि जैसी भविष्य की चुनौतियों के प्रति भी सतर्क रहने की जरूरत है और इसे कम करने और चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए एक सहयोगात्मक कार्य योजना बनानी होगी. डॉक्टर शाह ने बताया कि एनडीडीबी डेयरी विजन 2047 को साकार करने की दिशा में काम कर रही है।
इस विजन में शामिल है
वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से दुधारू पशुओं की उत्पादकता में सुधार
मिलावट को कम करने के लिए सभी संभावित गांवों में डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार करके संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाना
डेयरी किसानों को उपभोक्ता रुपये का अधिक हिस्सा प्रदान करने के लिए उत्पाद पोर्टफोलियो में मूल्य वर्धित उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाना
घरेलू मांग को पूरा करते हुए वैश्विक डेयरी व्यापार में हिस्सेदारी बढ़ाना
डेयरी मूल्य श्रृंखला में सतत डेयरी
ये रहे मौजूद इस दौरान प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, अलका उपाध्याय, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, वर्षा जोशी, डॉक्टर एन विजया लक्ष्मी, बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉक्टर एन विजया लक्ष्मी, आईडीए के अध्यक्ष डॉक्टर आरएस सोढ़ी, एनडीआरआई के निदेशक डॉक्टर धीर सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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