नई दिल्ली. बात चाहे पशु चारे की हो या फिर सब्जियों के अच्छे उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का खूब प्रयोग किया जाता है. हालांकि वर्मीवॉश (कम्पोस्ट) के इस्तेमाल से भी पशु के चारे और सब्जियों की फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के तौर पर केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) से ही वर्मीवॉश तैयार किया जाता है. इसे किसान कम लागत में तैयार कर सकते हैं. इसके साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है. इसके उपयोग से किसान उत्तम गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इसे पशुओं के उगाए जाने वाले चारे और सब्जियों में विभिन्न रोगों एवं कीटों की रोकथाम के लिए प्राकृतिक रोगरोधक एवं जैव कीटनाशक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके प्रयोग से 10-15 फीसदी तक उत्पादन बढ़ जाता है. इससे उपज पर किसी तरह का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है. एक्सपर्ट के मुताबिक ये कहना गलत नहीं होगा कि कृषि में वर्मीवॉश का उपयोग करना बहुत ही लाभदायक है.
पशुपालन की ओर रुख कर रहे किसान
ये बात तो हम सभी जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है. देश की अधिकांश जनसंख्या, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए कृषि आजीविका का मुख्य साधन है. जबकि हमारे देश में वर्ष 1965 के बाद कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ एक नया दौर आया है. वहीं अब पशुपालन भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. पशुपालन करके किसान अपनी आजीविका चला रहे हैं. खासतौर पर ऐसे किसान जिनके पास ज्यादा जमीन नहीं है वो पशुपालन करने अच्छी खासी आय कमा रहे हैं. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से भी कई योजनाएं चलाई जाती हैं.
पशुओं के चारे के लिए बेहतर विकल्प
ऐसे में पशुओं के लिए चारे की कमी को पूरा करना भी सरकार के साथ-साथ पशुपालकों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है. पशु के लिए चारा हो या फिर सब्जियां इसके उत्पादन के लिए रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग हुआ है. इन रसायनों के लगातार उपयोग से भूमि के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों को नुकसान हुआ है. रसायनों के अधिक इस्तेमाल से अन्न की गुणवत्ता में गिरावट, खाद्य पदार्थों में जहरीलापन एवं हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में उपरोक्त समस्याओं से निदान पाने के लिए इन रसायनों का उपयोग कम करना चाहिए. उनके स्थान पर जैविक उर्वरकों और जैव तरलों जैसे इसमें से पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में लेकर नीचे आता है. पौधे इसे आसानी से अवशोषित कर लेते हैं.
जमीन की हेल्थ के लिए बेहतर है
जबकि वर्मीवॉश के उत्पादन में यही प्रक्रिया काम करती है. केंचुओं का शरीर तरल पदार्थों से भरा होता है एवं इनके शरीर से लगातार इनका उत्सर्जन होता रहता है. इन तरल पदार्थों का संग्रहण ही वर्मीवॉश है. वर्मीवॉश इत्यादि को उपयोग में लाना एक अच्छा विकल्प है. इन सभी जैविक उत्पादों को किसान स्वयं कम लागत में तैयार कर सकते हैं. इनके साथ ही इनके सीमित प्रयोग से मृदा एवं मानव के स्वास्थ्य को बनाये रखा जा सकता है. वर्मीवाश एक भूरे रंग का तरल जैव उर्वरक है. इसका उत्पादन केंचुआ खाद उत्पादन के दौरान या अलग से भी किया जाता है. केंचुए मिट्टी में सुरंग बनाते हुए अपना खाना खाते हैं. इन सुरंगों में सूक्ष्मजीव होते हैं.
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