बरेली.आईसीएआर-आईवीआरआई, इज्जतनगर, बरेली में तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेटरनरी पेथौलोजी कांग्रेस-2023 का गुरुवार को शुभारम्भ हुआ. इस कांग्रेस का आयोजन भारतीय पशु चिकित्सा विकृतिविज्ञानी संघ (आईएवीपी) तथा इंडियन कालेज ऑफ वेटनरी पेथोलोजिस्टस (आईसीवीपी) के संयुक्त तत्वाधान में हो रहा है. इस मौके पर इंडियन एसोसिएशन ऑफ वेटरनरी पैथोलोजिस्टस (आईएवीपी) का 40वाँ वार्षिक अधिवेशन, इंडियन कालेज ऑफ वेटरनरी पैथालोजिस्टस (आईसीवीपी) के 14वाँ वार्षिक अधिवेशन के साथ-साथ “एडवांसेस इन वेटरनरी पैथालोजी फार डायग्नोसिस एण्ड कण्ट्रोल ऑफ इमर्जिंग डिसेजेस आफ लाइवस्टाक एण्ड पोल्ट्री विषय पर एक राष्ट्रीस सिम्पोजियम का भी उद्घाटन हुआ. इसमें देश के विभिन्न भागों से आए 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इस अवसर प्रमुख शोध-पत्रों एवं शोध सारांश पर एक स्मारिका का भी विमोचन हुआ.
इन्फ्लुएंजा, खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, पीपीआर जैसे रोगों से बचाना जरूरी
सिम्पोजियम में बोलते हुए मुख्य अतिथि एवं पूर्व कुलपति तमिलनाडु पशु एवं पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, चैन्नई डा. सी. बालाचन्द्रन ने संस्थान के निदेशक को बधाई देते हुए कहा कि आईवीआरआई अपने मूलभूत ढ़ांचे को कायम रखने हेतु भली-भांति रख रखाव कर रहा है. चूंकि देश का लक्ष्य पशु उत्पादों के उत्पादन को दुगना करना है. अतः इन्हें घातक रोगों के दुष्प्रभाव से बचाना भी आवश्यक है। डॉ. बालाचन्द्रन ने बताया कि हमें रोग निदान के लिए अपने जैव-चिन्हक विकसित करना चाहिए. हमें अपने पशुओं को पक्षी इन्फ्लुएंजा, खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, पीपीआर और सर्रा आदि घातक रोगों से बचाना होगा.
वेटरनरी पैथोलाजी के भविष्य के स्वरूप पर हमें चिंतन एवं मनन करना चाहिए.
वेटनरी पैथालोजी कांग्रेस में बोलते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष एवं कुलपति, शेरे कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जम्मू के डॉ. बीएन त्रिपाठी ने कहा कि इण्डियन कॉलेज ऑफ वेटनरी पैथोलोजिस्टस जैसी संस्थाएं पशु चिकित्सा विज्ञान के प्रत्येक नैदानिक विषयों में स्थापित होना चाहिए. ऐसे कालेजों को भारतीय पशुचिकित्सा परिषद तथा अन्य रेगुलेटरी संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में मनुष्य एवं पशुओं में अनेकों नये-नये रोग प्रकट हुए हैं तथा हमें इनसे निपटने के लिए पूरी तैयारी रखनी चाहिए. डा. त्रिपाठी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष के अवसर पर वेटरनरी पैथोलाजी के भविष्य के स्वरूप पर हमें चिंतन एवं मनन करना चाहिए.
संस्थान डीम्ड यूर्निवसिर्टी का प्रारूप बदलकर ग्लोबल यूनिवसिर्टी की ओर बढ़ रहा
संस्थान निदेशक एवं कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि वेटरनरी पेथोलाजी एक प्रमुख विषय है जिसने संस्थान तथा देश को पशु रोग निदान एवं मानव संसाधन विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. कैडराड समस्त देश में पशु रोग प्रकोप का निदान तथा नियंत्रण में सहायता करता है. संस्थान निकट भविष्य में डीम्ड यूर्निवसिर्टी का प्रारूप बदलकर ग्लोबल यूनिवसिर्टी की ओर बढ़ रहा है. संस्थान विकसित भारत लक्ष्य प्राप्त करने में कई प्रकार के कार्यक्रम बना रहा है तथा इसमें अपना योगदान देगा. डा. दत्त ने कहा कि वर्ष 2023 संस्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्ष रहा है. संस्थान ने एफएमडी तथा पीपीआर मार्कर वैक्सीन विकसित करने में सफलता प्राप्त की है. इसके अतिरिक्त एफएमडी वैक्सीन क्वालिटी कंट्रोल परीक्षण की पशुओं की उपलब्धता की दुश्वारियों को दूर करने हेतु एक वैकल्पिक परीक्षण विकसित किया है. शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अधोस्नातक पाठ्यक्रम तथा दो स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम कार्यक्रम प्रारम्भ किये जाएंगे. संस्थान ने पशु रोग नियंत्रण हेतु अनेकों वैक्सीन विकसित किया जिनमें 10 अत्यधिक महत्व की श्रेणी में हैं.
रोगों पर समय से नियंत्रित किया जा सके
इससे पूर्व स्वागत भाषण देते हुए आयोजन सचिव एवं संयुक्त-निदेशक कैडराड डॉ. केपी सिंह ने कहा कि इस कांफ्रेस का उद्देश्य पशुओं के उदीयमान एवं पुर्नउदीयमान रोगों पर विस्तृत चर्चा करना है ताकि उन्हें समय से नियंत्रित किया जा सके उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे रोगों के ज्वलंत उदाहरण हैं लंपी स्किन डीजिज तथा अफ्रीकन स्वाइन फीवर. इस अवसर पर पूर्व संयुक्त निदेशक कैडराड तथा विभागाध्यक्ष विकृति विज्ञान विभाग डॉ.एमएल. मेहरोत्रा, डॉ. आरएस चौहान, डॉ. ऋषिन्द्र वर्मा, डॉ. प्रभाकर द्विवेदी, डॉ. रमेश सोमवंशी, डॉ. एसडी सिंह तथा डॉ. राजेन्द्र सिंह को प्रतीक-चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. साथ ही साथ जाने-माने विकृति विज्ञानी एवं सेवानिवृत्त उपमहानिदेशक (पशु स्वास्थ्य),आईसीएआर डॉ. लाल कृष्ण को भी सम्मानित किया गया.
विशेषज्ञ तैयार करना ही इस संस्था का लक्ष्य
इंडियन कालेज ऑफ वेटरनरी पैथोलोजिस्ट के अध्यक्ष डॉ. व्यास एम. सिंगटगेरी ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की रोग निदान एवं अन्य विषयक प्रतिवेदन तैयार करने के लिए विशेषज्ञ तैयार करना ही इस संस्था का लक्ष्य है. यह भारत की अपने किस्म की सार्टिफिकेशन परीक्षा कराने वाला निकाय है हांलाकि इस तरह की संस्थान अमेरिका (एसीवीपी), यूरोप (ईसीवीपी) तथा जापान में (जेसीवीपी) हैं. भारत के आईसीवीपी डिप्लोमेट (विशेषज्ञों) को अन्तर्राष्टीय जगत में मान्यता प्राप्त हो रही है.सह आयोजन सचिव डॉ. राजवीर सिंह पवैया ने चार सफल आईसीवीपी डिप्लोमेट को प्रमाण-पत्र प्रदान किया. उन्होंने पशु रोग निदान में पैथोलाजी विभाग के ऐतिहासिक योगदान एवं पूर्व विभागाध्यक्षों के योगदान को स्मरण किया. डॉ. पवैया ने मंचासीन तथा सभागार में उपस्थित समस्त अतिथियों, वरिष्ठ वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों, प्रतिभागियों एवं शोध छात्रों को धन्यवाद ज्ञापित किया.
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