नई दिल्ली. पशु पालन वैसे तो बहुत ही फायदे का कारोबार है. इसे करके अच्छी कमाई की जा सकती है. किसानों की आय भी बढ़ रही है. हालांकि रोग दूध उत्पादन में बाधा और गंभीर आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार होता है. एक बार जब पशु बीमार हो जाता है तो खाना-पीना बंद कर देता है. सुस्त लगता है, खुद को अन्य जानवरों से अलग और अंत में दूध देना बंद कर देता है. डेयरी पशु कई बीमारियों से प्रभावित हो जाते हैं. आज हम इस आर्टिकल के जरिए बात कर रहे हैं पशुओं में बीमारियों से बचाव के लिए काम आने वाले टीको के बारे में. टीका लगवाने की प्रक्रिया क्या है.
पशु पालन सदियों से किया जाने वाला कारोबार है. बहुत से लोग अपने घरों में एक दो पशु पाल लेते हैं, तो बहुत व्यवस्थित ढंग से पशुपालन करते है. आज बहुत से लोग ट्रेनिंग लेकर पशु पालन से जुड़े हैं और यही वजह है कि उनका सालाना टर्नओवर लाखों और करोड़ों में है. पशु में कई तरह की बीमारी लग जाती है.
डेयरी पशुओं में टीके लगाने की अच्छी प्रक्रिया क्या है?
- गर्दन के मध्य क्षेत्र में कंधे के सामने इंजेक्शन लगाएं और गर्दन के पीछे के क्षेत्र में
इंजेक्शन नहीं लगाना चाहिए. - टीका लगाने से पहले सिरिंज या गन से हवा निकाल दें.
- लेबल द्वारा निर्दिष्ट सही गेज और उचित लंबाई वाली सुई का प्रयोग करें.
- प्रत्येक बार जब आप सिरिंज या वैक्सीन गन भरते हैं तो सुई बदलें.
- दबी हुई, मुड़ी हुई या टूटी हुई सुइयों को बदल दें तथा इनका प्रयोग न करें.
टीकाकरण के उपयोग के लिए अच्छी प्रबंधन प्रक्रियाएं क्या हैं?
- टीकों को प्रशीतक/फ्रीज के अंदर रखने के कम से कम 1 घंटे पहले प्रशीतक/फ्रीज
- को ठंडा करें.
- 35 से 45 डिग्री फार्नेहाइट पर स्थिर तापमान बनाए रखने के लिए पर्याप्त बर्फ या ठंडे
- पैक का उपयोग करें.
- सुबह या दोपहर किसी भी एक समय में टीकाकरण के लिए पर्याप्त टीका लें, दोनों
- समयों के लिए एक साथ टीका न लें.
- फ्रीज को धूप से दूर रखें.
- किसी भी बचे हुए बिना खुले टीके की पहचान कर पहले उनका उपयोग करें.
- अलग-अलग टीकों के लिए एक ही वैक्सीन गन का इस्तेमाल न करें.
- संशोधित सजीव/लाइव माडिफाइड टीकों को यदि उनके निर्माण के 1 से 2 घंटे के
- भीतर उपयोग नहीं किया जा सकता है तो उन्हें न मिलाएं.
- ऐसे निष्क्रिय/इनेक्टिवेटिड टीकों को फेंक दें जो 2 दिनों से अधिक समय से खोले
- गए हैं क्योंकि बार-बार हवा और सुई लगाने से टीका दूषित हो सकता है.
यदि टीकाकर्मी बर्फ के पात्र/शीतलक में वैक्सीन नहीं लाता है तो क्या हमें पशुओं को टीका लगाने की अनुमति देनी चाहिए?
पशु एक्सपर्ट का कहना है, कि कभी नहीं, क्योंकि सामान्य परिवेश के तापमान में टीके खराब हो जाते हैं और पशुओं को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ होते हैं.
क्या हमें गांव में खुरपका मुंहपका रोग के प्रकोप के दौरान अप्रभावित पशुओं का टीकाकरण करना चाहिए?
खुरपका एवं मुंहपका रोग से प्रभावित गांव में, रोग के लक्षण नहीं दिखाने वाले पशुओं का टीकाकरण करना उचित नहीं है क्योंकि यह किसी भी लक्षण के दिखने से पहले ही ऊष्मायन काल के विभिन्न चरणों में हो सकता है। हालांकि, रिंग टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है जोकि संक्रमित गांव के 2 से 3 किमी पहले से शुरू होकर और परिधि से संक्रमण के बिंदु तक अंदर की ओर जाकर रोग के प्रसार को सीमित करता है. प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए संक्रमित क्षेत्रों के पशुओं, पशु आहार एवं लोगों की आवाजाही पर सख्त नियंत्रण भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
खुरपका एवं मुंहपका रोग के प्रकोप के दौरान फार्म परिसर के कीटाणुशोधन के लिए कौन से सामान्य कीटाणुनाशक का उपयोग किया जा सकता है?
सोडियम कार्बोनेट (सोडा ऐश, वाशिंग सोडा) 4 प्रतिशत, सोडियम हाइड्रोक्साइड 2 प्रतिशत, एसिटिक एसिड 4-5 प्रतिशत जैसे सामान्य कीटाणुनाशक का उपयोग किया जा सकता है.
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