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Snake Bite: सांप काटने पर क्या है एंटीवेनम थेरेपी, जाने इसके बारे में

सांप के काटने को हमेशा विषैले सांप की तरह ही लें.
सांप की प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. सर्पदंश एक घातक स्थिति है. विषैले सांप के काटने के दौरान यदि सही समय पर इलाज नहीं मिलता है तो सांप काटने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. सांप का जहर खून में घुलकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचता है जिससे खून बहना, मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात जैसी समस्याएं हो सकती हैं. जहर से फेफड़े, हार्ट, किडनी और दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंग भी प्रभावित हो सकते हैं. सर्पदंश पीड़ितों में से केवल एक छोटा सा हिस्सा ही अस्पतालों में चिकित्सा सहायता प्राप्त करता है. सांप के काटने का उच्च जोखिम समूह में किसान, मछुआरे, आदिवासी और वन कर्मचारी और स्कूल के बच्चे शामिल हैं. बच्चे खेलते समय सांपों के संपर्क में आ जाते हैं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों में उच्च मृत्यु-दर दर्ज की जाती है. सांप के काटने पर एंटीवेनम थेरेपी ही काम में आती है, आइये जानते हैं आज इसके बारे में.

सांप काटने में सबसे ज्यादा प्रभावित कृषि कर्मचारी और बच्चे होते हैं. बच्चों का शरीर छोटा होता है, इसलिए उन पर अधिक प्रभाव पड़ता है. आज बात कर रहे हैं सांपों के बारे में. इस आर्टिकल के जरिए आपको जानकारी दे रहे हैं कि कौन से सांप जहरीले हैं और कौन से का जहरीले नहीं हैं.

एंटीवेनम थेरेपी: एंटीवेनम सांप के काटने के विष के प्रणालीगत प्रभावों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए एकमात्र विशिष्ट मारक है. एंटीवेनम पॉलीवेलेंट और मोनोवेलेंट प्रकार के हो सकते हैं. भारत में वर्तमान में इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीवेनम पॉलीवेलेंट प्रकार का है. यह सभी चार आम विषैले सांप प्रजातियों के खिलाफ प्रभावी है.

सामुदायिक जागरूकता: सांप के काटने से बचाव के लिए सामुदायिक जागरूकता बेहद जरूरी है. जागरूकता कार्यक्रम से सर्पदंश की रोकथाम, प्राथमिक उपचार और निकटतम स्वास्थ्य सुविधा के लिए तत्काल परिवहन के महत्व के बारे में जागरूकता महत्वपूर्ण है. जागरूकता को किसानों और वन्यजीवअधिकारियों जैसे उच्च जोखिमवाले समूहों के साथ-साथ आम जनता की ओर भी निर्देशित किया जा सकता है. इसके तहत निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं.

  • जंगल में जाते समय बंद जूते पहनें
  • रात में टॉर्च का उपयोग करें
  • फर्श पर सोने से बचें
  • घर और आस-पास की सफाई रखें.
  • चूहों की संख्या को कंट्रोल में रखें.

66 प्रजातियां है भारत में विषैली: भारत में 310 से अधिक सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 66 प्रजातियां विषैली हैं और 42 हल्के विषैले हैं. सभी प्रजातियों में से, भारत में 90% सांप के काटने के मामले केवल चार प्रजातियों द्वारा होते हैं, जिन्हें बिग 4 के नाम से जाना जाता है. देश में पशुओं में सांप के काटने से मृत्युदर 47 फीसदी तक बताई गई है.

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