नई दिल्ली. कोलोस्ट्रम नवजात बछड़ों के जन्म के तुरंत बाद मां के पहले दूध को कहा जाता है. ये प्रोटीन, वसा, विटामिन ए और कई खनिजो की अपेक्षा सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है. इसमें एंटीबॉडी भी होती है, जो बछड़े को कई बीमारियों से सुरक्षित रखती है. कोलोस्ट्रम में रोग प्रतिरोधग गुण भी होते हैं, जो म्यूकोनियम को बाहर निकलने में मदद करते हैं. जो शक्तिशाली आंत मार्ग को भी सुरक्षित करता है. यह बात साबित हो चुकी है कि कोलोस्ट्रम का तुरंत पर्याप्त सेवन करने से उम्र के पहले दो-तीन महीने के दौरान बछड़े के स्वास्थ्य में बेहतरी देखी गई है. इसलिए एक्सपर्ट कहते हैं कि बछड़ों को तुरंत जन्म से 30 मिनट के भीतर कोलोस्ट्रम खिलाना चाहिए. कोलेस्ट्रॉल को दूसरे पशुओं के नवजात बच्चों को भी खिलाया जा सकता है. वहीं भविष्य के लिए उपयोग में आए, इसलिए डीप फ्रीजर में सुरक्षित किया जा सकता है.
क्वालिटी आहार की होती है जरूरत
अगले चरण में बछड़ों को उच्च स्तर के पोषण अच्छी गुणवत्ता वाले आहार की आवश्यकता नहीं होती है. बछड़ों को मोटे चारे और भूसे पर आधारित आहार पर पाला जा सकता है. चारे की गुणवत्ता या राशन की मात्रा काफी हद तक लक्ष्य विधि पर निर्भर करती है. भैंस बछड़ों में यौवन तब प्राप्त होता है, जब पशुओं का शारीरिक वजन सीमा तक पहुंच जाता है. जो की परिपक्व शरीर के वजन का लगभग 50 से 70% होता है. इसलिए कम उम्र में शारीरिक वजन प्राप्त करने के लिए पालन पोषण में वैज्ञानिक आहार की आवश्यकता होती है. उचित आहार में 17 से 21 महीने की उम्र में 270 से 300 किलोग्राम वजन के साथ यौवन प्राप्त हो जाता है. बछड़ियों को तब परोसा जा सकता है. जब उनका वजन 300 से 325 ग्राम हो जाए.
विकास दर में आ जाती है कमी
आम तौर पर, भारतीय भैंस बछियों के लिए 100 से 300 किलोग्राम शरीर के वजन के बीच 500-600 ग्राम/दिन की इजाफा दर को वृद्धि दर माना जाता है. कम दूध पिलाने से पालन-पोषण चरण के दौरान विकास दर पशु की संभावित क्षमता के 50% तक कम हो जाती है, जिससे गर्मी में आने में काफी देरी होती है. प्रतिदिन 450-500 ग्राम वजन प्राप्त करने के लिए 20% सीपी और 63% टीडीएन युक्त सांद्र मिश्रण 1.5, 2.0, 2.5 और 3.0 किलोग्राम प्रति व्यस्क की दर से प्रतिदिन 100, 150, 200 और 250 किलोग्राम या उससे अधिक वजन वाले शरीर के वजन के साथ खिलाया जा सकता है.
चारे में क्या दिया जाए
10 किलो हरा चारा और एड लिबिटम भूसे के साथ सांद्रण मिश्रण को कुचले हुए अनाज, गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, सरसों की खली, सोयाबीन की खली या मूंगफली की खली, खनिज मिश्रण और नमक को 35: 15:25:10:10: 2:1 या 30 के अनुपात में मिलाकर तैयार किया जा सकता है. 20:17:15:15: 2:1. जब हरा चारा उपलब्ध न हो तो 10 किलोग्राम हरे चारे के स्थान पर 1 किलोग्राम अतिरिक्त सांद्रण मिश्रण खिलाना चाहिए. तेज़ विकास दर के लिए प्रतिदिन अतिरिक्त 1 किलोग्राम सांद्रण खिलाया जा सकता है.
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