नई दिल्ली. भारत में सदियों से खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किया जा रहा है. भारत इस वक्त दुनिया में दूध उत्पादन के मामले में अग्रणी है. कोई भी देश भारत से ज्यादा दूध उत्पादन नहीं कर पाता है. हालांकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में प्रति पशु दूध उत्पादन क्षमता यहां से ज्यादा है. फिर भी पशुओं की संख्या ज्यादा होने की वजह से भारत में ज्यादा दूध उत्पादन होता है. यही वजह है कि प्रति पशु दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से भी कई कोशिशें हो रही हैं. वहीं सरकार हर मुमकिन कोशिश में हैं कि पशुपालन को बढ़ाव मिले.
पशुपालन को बढ़ावा इसलिए भी दिया जा रहा है ताकि किसानों की आय दोगुनी हो और इससे अर्थव्यवस्था को और ज्यादा मजबूती मिले. पशुपालन से दूध के साथ-साथ भैंस जैसे जानवरों से मीट भी हासिल किया जाता है. इससे किसानों को तगड़ा फायदा होता है. बात अगर दूध प्रोडक्शन की जाए तो अब जैविक पशुपालन यानि आर्गेनिक एनिमल हसबेंडरी का चलन बढ़ रहा है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जैविक पशुपालन करने की वजह से हासिल होने वाला दूध इंसानों के लिए बहुत ही बेहतर है. इसके कई फायदे गिनाए जाते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.
बीमारियों से बचाता है
एनिमल एक्सपर्ट इब्ने अली कहते हैं कि जैविक पशुपालन, वातावरण को प्रदूषण रहित बनाये रखने और इंसानों की हैल्थ की हिफाजत करने में मदद करता है. आर्गेनिक एनिमल हसबेंडरी से हासिल होने वाले प्रोडक्ट एंटी बायोटिक्स एवं हॉर्मोन से पूरी तरह से मुक्त होते हैं. इसलिए इनके सेवन से इंसानों और अन्य प्राणियों को कई खतरनाक बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसमें सबसे ज्यादा जो गंभीर बीमारियां उसमें हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह आदि है. जैविक पशुपालन की ये भी खासियत है कि इससे मिट्टी की उर्वरकता को लम्बे समय तक बनाये रखने में मदद मिलती है.
प्रोडक्ट की क्वालिटी होती है बेहतर
जैविक पशुपालन प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करता है. ताकि कम लागत से अधिक मात्रा व उच्च गुणवत्ता वाले पशु आधारित प्रोडक्ट का उत्पादन किया जा सके. जैविक पशुपालन से हासिल प्रोडक्ट का महत्व पदार्थों से अधिक होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि इससे पशु पालक को अधिक आमदनी होती है. मसलन, दूध की क्वालिटी अच्छी होती है तो बड़ी डेयरी कंपनियां दूध का दाम भी ज्यादा देती हैं. जबकि पशुपालक खुद भी आम लोगों को महंगा दूध बेच पाते हैं. वहीं यह पारंपरिक पशुपालन को बढ़ावा देता है ताकि किसानों को कम लागत में अधिक मूल्य वाले जैविक पशु उत्पाद प्राप्त हो सकें.
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