Home मछली पालन Fisheries: इन तीन तरीकों से मछली पालन में कई गुना बढ़ जाएगा मुनाफा, फीड पर लागत भी कम आएगी
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Fisheries: इन तीन तरीकों से मछली पालन में कई गुना बढ़ जाएगा मुनाफा, फीड पर लागत भी कम आएगी

गर्मी में भी मछली के तालाबों में पानी का स्तर लगभग 6 फीट रखा जाना चाहिए. इससे निचले हिस्से में पानी का तापमान उपयुक्त रहता है.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहद ही फायदा पहुंचाने वाला सौदा है. अगर आप मछली पालन करते हैं तो एक हेक्टेयर के तलाब में तकरीबन 10 टन मछली का उत्पादन करके 10 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. हालांकि कई और तरीके हैं, जिससे आप मछली पालन में और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. बस जरूरत इस बात की है कि इसकी जानकारी हो. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन के साथ मुर्गी पालन और बत्तख पालन किया जाए तो ये मुनाफे को कई गुना बढ़ा देता है. वहीं पशुपालन भी साथ में किया जा सकता है. आइए इस बारे में जानते हैं कि कैसे मछली पालन के साथ मुर्गी, बत्तख और पशुओं को पालकर मुनाफा कमाया जा सकता है.

यहां मुर्गियों के अवशिष्ट को ​रिसाइकल करके खाद के रूप में उपयोग किया जाता है. एक मुर्गी के लिये 0.3-0.4 वर्ग मीटर जगह की जरूरत होती है. 50-60 पक्षियों से एक टन उर्वरक प्राप्त होता है. 500-600 पक्षियों से प्राप्त खाद एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिये पर्याप्त होती है. इसके पालन के द्वारा 4.5-5.0 टन मछली, 70000 अंडे और 1250 किग्रा मुर्गी के मांस का उत्पादन होता है. इसमें किसी पूरक आहार और एक्स्ट्रा उर्वरक की जरूरत नहीं होती है.

मछली सह बतख पालन
इस पालन में मछली और बतख एक साथ पाली जाती है. जिस जल क्षेत्र में बतखों का पालन किया जाता है. वह मछलियों के लिये आदर्श जलक्षेत्र माना जाता है. क्योंकि इससे जलक्षेत्र रोगमुक्त हो जाता है. बतख जल क्षेत्र में उपस्थित घोंघा, टैडपोल एवं पतंगों के लार्वा को खाती है. इसके अलावा बतखों के अवशिष्ट के सीधा तालाब में गिरने से मछलियों के लिये आवश्यक पोषक पदार्थ की जरूरत पूरी हो जाती है. हर बतख से 40-50 किग्रा खाद मिलती है. जिससे लगभग 3 किलोग्राम मछली उत्पादन होता है.

इस प्रजाति की बत्तख पालें
बतख की औसत पालन दर 4 बतख प्रति वर्ग मी. होती है। एक बतख औसतन 200 अंडे प्रतिवर्ष देती है. खाकी कैम्पबेल बत्तख की बड़ी प्रजाति है मगर यह इर्द-गिर्द के फसलों को नुकसान पहुंचाती है और मछली की अंगुलिकाओं को भी घायल कर देती है. इसके बजाय इन्डियन रनर जो छोटी प्रजाति है पालने के लिये अधिक उपयुक्त है.

मछली सह मवेशी पालन
मछली के साथ, गाय, बैल, भैंस तथा बकरी पालन किया जा सकता है. आमतौर पर एक गाय, बेल या भैंस से 6 किलोग्राम और बकरी से 0.5 किलोग्राम खाद मिलती है. इसलिए एक वर्ष में एक मवेशी से 9000 किलोग्राम अवशिष्ट निकलता है. एक्सपर्ट का कहना है कि 6.4 किग्रा गोबर से एक किग्रा मछली उत्पादन होता है. आठ गायों से प्राप्त गोबर एक हेक्टेयर जल क्षेत्र के लिये पर्याप्त होता है और इससे बिना पूरक आहार के 3-5 टन मछली का उपज ली जा सकती है. साथ ही दूध भी प्राप्त होता है.

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