नई दिल्ली. पशुओं को गर्भित करने का सही समय गर्मी की मध्य अवस्था से लेकर गर्मी की देर की अवस्था होती है. यदि गाय सुबह गर्मी में आयी है तो उसे शाम को गर्भाधान करवाना चाहिए तथा यदि शाम व रात को गर्मी में आयी है तो दूसरे दिन सुबह गर्भाधान करवाना चाहिए. अधिकांश स्थितियों में पशु के गर्मी के शुरू होने का वक़्त और पशुपालक का उसे पहचानने का वक़्त अलग अलग होता है. ऐसी स्थिति में पशुपालक को पशु जब भी गर्मी में दिखे उसे तुरंत पशु का गर्भाधान कराना चाहिए तथा 12 घंटे बाद दोबारा गर्भाधान करा देना चाहिए.
कृत्रिम गर्भाधान सही समय पर सही तकनीक द्वारा एक प्रशिक्षित एवं अनुभवी विशेषज्ञ से ही कराना चाहिए. गावों में ऐसा देखा गया है की पशुपालक अपने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान अप्रशिक्षित व्यक्ति से कराते है जिन्हें मादा पशु के नाजुक जननांगो की सही जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोग बहुत बुरे ढंग से जननांगो को पकड़ कर हानि पहुंचाते हैं और पशु को विभिन्न रोगों का शिकार बना देते हैं. कृत्रिम गर्भाधान की कम सफलता दर का ये बहुत बड़ा कारण है.
गाय हर 21 दिन पर गर्मी में आती है
आमतौर पर गाय हर 21 दिन के अंतराल पर गर्मी में आती है. गर्मी की अवस्था लगभग 12-24 घंटे की होती है. पहली बार गर्मी प्रदर्शित करने वाली बाछियों को पहले 1 या 2 गर्मी छोड़कर गर्मित कराना चाहिए. कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया के दौरान गाय को डराना या मारना नहीं चाहिए. कृत्रिम गर्भाधान के लिए लाये गए पशुओं को गर्म वातावरण में न रखकर छायादार स्थान पर ही बाँधना चाहिए. गर्भाधान के बाद जब गाय या भैंस गर्मी में नहीं आती तो अक्सर पशुपालक ये अनुमान लगा लेते है की उनका पशु गर्भित हो गया है, बाद में वो पशु खाली निकलता है तो उन्हें दूध की आय से वंचित रहना पड़ता है और आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ता है. इसलिए पशुपालक को ये चाहिए गर्भधारण कराने के 2 महीने बाद वो पशु चिकित्सक से गर्भ जांच जरुर कराये.
डिलीवरी के बाद इतने दिनों में जाहिर होते हैं गर्मी के लक्षण
सामान्य प्रसव होने के 40 दिन बाद पशु में गर्मी के लक्षण जाहिर होते है. पशुपालक इस गर्मी को हमेशा छोड़ दे तथा अगली गर्मी को कभी ना छोड़ते हुए पशु का कृत्रिम गर्भाधान जरूर कराये. अगर पशु के प्रसव के समय कुछ असामान्यता हुई हो जैसे कष्टमय प्रसव, जेर का ना निकलना, गर्भपात इत्यादि तो ऐसे पशु को 90 दिन बाद गर्भाधान कराना चाहिये. किसी भी स्थिति में अगर प्रसव होने के 90 दिन के बाद भी पशु गर्मी में नहीं आया है तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. कुछ पशुओं में गर्भावस्था की पहली तिमाही में गर्मी के लक्षण प्रकट होते है. ऐसे पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान करने से पशु के गर्भपात होने का ख़तरा रहता है इसीलिए पशुपालक हमेशा ध्यान रखें की कृत्रिम गर्भाधान कराने से पहले पशु की ग्याभिन जांच जरूर की जाए.
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