नई दिल्ली. मछली पालन करने वाले किसान इस बात को जानते हैं कि मछली पालन में ज्यादा उत्पादन लेने के लिए तालाब की परभक्षी मछलियों को उसमें से हटाना होता है. ये वो मछलियां होती हैं जो छोटी मछलियों और जलजीवों का शिकार करती हैं और इससे मछलियों के उत्पादन पर असर पड़ता है. जबकि ये मछलियों को दिये जाने वाले खाने को भी खा जाती हैं. इसके अलावा तालाब में जलीय कीड़े भी होते हैं, इनको भी खत्म करना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि इनकी वजह से भी मछलियों के उत्पादन पर असर पड़ता है.
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि दोनों एक तरह से मछलियों के दुश्मन होते हैं और इनका तालाब से सफाया करना अहम होता है. ऐसा न करने पर मछली पालन का मुनाफा कम हो सकता है.
पानी को पूरी तरह से निकाल दें
परभक्षी और गैर जरूरी मछलियां न सिर्फ जरूरी मछलियों का भोजन खा जाती हैं, बल्कि वे कार्प के स्पॉन को भी खा जाती हैं. ये मछलियां हमारे वांछित मछलियों की जगह, ऑक्सीजन तथा पूरक आहार के लिए भी कॉप्टिशन पैदा करती हैं. जिससे मछलियों की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है. ऐसी गैरजरूरी मछलियों को तालाब से निकालने के लिए जरूरी कदम उठाये जानें की जरूरत है. इसके तालाब के पानी को पूरी तरह निकाल कर उसे 7-10 दिनों तक धूप में सुखाना सबसे अच्छा उपाय है.
तालाब में डालें महुआ और खल्ली
महुआ के खल्ली का इस्तेमाल नर्सरी प्रबंधन के लिए अच्छा माना जाता है. यह परभक्षी और गैरजरूरी मछलियों के गलफड़ों में खून कोशिकों को मार देता है और जिस वजह से गैर जरूरी मछलियां मर जाती हैं. बाद में ये महुआ खल्ली टूटने के बाद जैविक खाद के रूप में उपयोग में होता है. वहीं परभक्षी मछलियों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दो ढाई हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर महुआ खल्ली का उपयोग करना चाहिए और इसका इस्तेमाल मत्स्यबीज संचयन से तीन हफ्ते पहले करना चाहिए. ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल भी 350 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से कर गैर जरूरी मछलियों को खत्म किया जा सकता है.
जलीय कीड़ों को ऐसे करें खत्म
तालाब में बहुत से पानी वाले कीड़े पाये जाते हैं और इनकी संख्या तालाब में जैविक खाद के प्रयोग के बाद बढ़ जाती है. ये कीड़े न सिर्फ मछलियों का खाना खा लेते हैं बल्कि कार्प के बीज को भी नुकसान पहुंचाते हैं. इसके नियंत्रण के सबसे आसान तथा प्रभावी तरीका साबून का तेल वाला घोल होता है. इसके लिए 18 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से किसी सस्ते साबुन या दो से तीन किलो सर्फ, 56 किलोग्राम वनस्पति तेल के साथ मिलाकर घोल को बीज डालने से 1-2 दिन पहले इस्तेमाल करते हैं. यह साबुन का घोल का उनकी सांस लेने की क्रिया पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है जिससे उन कीड़ों की मौत हो जाती है. साबुन के घोल का इस्तेमाल शांत मौसम में बहुत प्रभावी होता है.
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