नई दिल्ली. मछली पालन में रोग समस्याओं का प्रबंधन करना बेहद अहम है. क्योंकि अगर एक बार मछलियों को बीमारी लग गई तो एक—एक करके अन्य स्वस्थ मछलियों में भी लग जाती है और फिर मत्स्य पालक को नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि मत्स्यपालन से बीमारियों को पूरी तरह से दूर रखना मुश्किल है, परन्तु काफी हद तक नियंत्रित करना अथवा बार-बार होने से रोकना संभव है. अतः मत्स्य प्रक्षेत्र में अच्छे प्रबंधन से रोगजनकों की संख्या में कमी अथवा इनका उन्मूलन करने हेतु रसायनों का उचित प्रयोग करना चाहिए. किसी एरिया में नए मछली को लाने उपरान्त जैव सुरक्षा उपाय न केवल महत्वपूर्ण होते हैं वरन् ये उपाय विशिष्ट रोगजनको की समग्र संख्या में कमी लाने के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं.
इनके कारण एक प्रक्षेत्र से अन्य मत्स्य प्रक्षेत्रों में रोगाणुओं के प्रसार को रोकने में काफी हद तक मदद मिलती है. बीमार एवं मृत मछली अक्सर रोगों के विस्तार के प्रमुख कारण होते हैं. अतः, बीमार, मृतप्राय तथा मृत मछली को मत्स्य प्रक्षेत्र से यथाशीघ्र हटाकर नष्ट कर देना आवश्यक होता है। तालाब का जल भी रोगजनकों के संग्रह के रूप में कार्य कर सकता है. मत्स्य प्रक्षेत्र में उपयोगित जाल, बाल्टी व अन्य उपकरण भी रोग के वाहक हो सकते हैं. इसलिए इन्हें भी उपयोग उपरांत विसंक्रमित किया जाना चाहिए ताकि रोगजनकों के यथासंभव प्रसार को रोका जा सके.
संतुलित आहार देना है जरूरी
प्रजनक कार्प मछलियों का अधिक स्टोरेज डेनसिटी से बचें. मत्स्य पालक को 1500 किग्रा प्रति हेक्टर ही भंडारण करना चाहिए. तालाब के जल की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखें .अतिरिक्त आहार से परहेज करते हुए आवश्यक मात्रा में पोषणयुक्त संतुलित आहार खिलाएं. मछलियों के विशिष्ट व गैर-विशिष्ट रक्षा तंत्र का उपयोग करने के लिए इम्यूनोस्टिमुलेंट या प्रोबायोटिक्स का उपयोग करना चाहिए. मत्स्य एरिया में उपयोगित जाल, बाल्टी व अन्य उपकरण के विसंक्रमित करने हेतु चतुर्भाग अमोनियम यौगिकों, आयोडीन या क्लोरीन का उपयोग किया जाना चाहिए.
एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी होता है
प्रबंधन के बावजूद प्रजनक कार्प मछलियों में रोग प्रकोप होने पर रसायनों के प्रयोग मत्स्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ की (विशेषकर एंटीबायोटिक्स के उपयोग से पहले) सलाह से करना चाहिए. तालाब डिसइंफेक्शन के लिए आमतौर पर उपयोगित विसंक्रमकों यथा बेन्जलकोनियम क्लोराइड, पोटेसियम परमैंगनेट, चूना, आयोडीन घोल आदि का उपयोग करें. साथ ही साथ, भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंर्तगत जलीय जीवों के राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम द्वारा चलायी जा रही एक एंड्रॉइड आधारित मोबाइल ऐप जो गुगल प्लेस्टोर पर सभी मत्स्य पालकों व हैचरी संचालको के लिए उपलब्ध है.
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