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Milk Production: दुधारू पशुओं को ऐसा क्या खिलाएं कि बढ़ जाए दूध उत्पादन, पढ़ें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. डेयरी कारोबार में पशु जितना ज्यादा दूध देता है उतना फायदा होता है. ज्यादा दूध मिलने का मतलब ये है कि पशुपालकों को इससे ज्यादा इनकम होगी. वहीं अगर दूध क्वालिटी वाला हो, यानि उसमें फैट और एसएनएफ ज्यादा हो तो दाम भी ज्यादा मिलता है. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि स्तनपान के दौरान यानि जब पशु दूध देता है तो उस वक्त उसका अच्छे ढंग से ख्याल रखा जाए. उसे तमाम जरूरी पोषण दिए जाएं. हरे चारे के साथ—साथ मिनरल मिक्सचर भी दिया जाए. उसकी खुराक में कोई कमी न की जाए. अगर ऐसा किया गया तो दूध उत्पादन पर असर पड़ सकता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी भी स्तनपान के दौरान अधिक दूध प्राप्त करने के लिए, दुधारू पशु को उचित देखभाल और प्रबंधन पद्धतियों के साथ उचित रूप से खिलाया जाना चाहिए. पशु द्वारा खाए जा सकने वाले हरे रसीले चारे के साथ फलीदार घास या भूसा दें, ताकि उसके भरण-पोषण की सभी जरूरतें चारे से ही पूरी हो जाएं. हर 2 से 2.5 लीटर दूध के लिए 1 किलोग्राम की दर से अतिरिक्त सांद्रण दिया जाना चाहिए. स्तनपान को बनाए रखने के लिए नमक और खनिज सप्लीमेंट के तौर दिया जाना चाहिए.

तीन बार दूध दुहना क्यों है बेहतर
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं को कभी भी डराएं या उत्तेजित न करें. दूध दुहने से पहले या उसके दौरान सांद्रण मिक्सचर खिलाया जाता है, जबकि दूध दुहने के बाद मोटा चारा दिया जाता है. इस अभ्यास से शेड में धूल से बचा जा सकेगा. पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए. दूध दुहने में नियमितता जरूरी है. थन में दूध की मात्रा बढ़ने से दूध का स्राव कम होगा. दो बार दूध दुहने की तुलना में तीन बार दूध दुहना बेहतर है. क्योंकि इससे 10-15 फीसदी अधिक दूध का उत्पादन हो सकता है.

साफ-सफाई का ख्याल रखें
दूध दुहना पूरे हाथ से किया जाना चाहिए. गाय को बछड़े को दूध पिलाए बिना दूध छोड़ने के लिए ट्रेंड किया जाना चाहिए. इससे बछड़ों को जल्दी दूध छुड़ाने में मदद मिलेगी. गर्मी के दिनों में आश्रय के साथ ढीला आवास देना चाहिए. पशुओं को ढीला आवास व्यवस्था में अधिकतम व्यायाम मिलेगा. दूध दुहने से पहले गायों को साफ करना और भैंसों को नहलाना स्वच्छ दूध उत्पादन में मदद करता है. रोजाना ब्रश करने से कोट से ढीले बाल और गंदगी हट जाएगी. वहीं साफ करने से पशु की खाल भी लचीली रहेगी.

60 दिन का सूखा समय जरूर दें
भैंसों को लिटाना या उनके शरीर पर पानी छिड़कना भैंसों को विशेष रूप से गर्मियों में आरामदायक रखेगा. बछड़े के जन्म के बीच कम से कम 60 दिन का सूखा समय दें. यदि सूखा समय पर्याप्त नहीं है, तो बाद में दूध की पैदावार कम हो जाएगी. गाय को महत्वपूर्ण बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाएं. प्रत्येक पशु पर नंबर दर्ज करना चाहिए तथा दूध, वसा प्रतिशत, लिए गए चारे, प्रजनन, सुखाने तथा ब्याने की डेट से संबंधित विवरण दर्ज किए जाने चाहिए. मास्टाइटिस की नियमित जांच करें.

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