नई दिल्ली. पशुपालन में पशु का हीट में आना भी बहुत जरूरी होता है. जिसके बाद पशुओं को गाभिन कराया जाता है. अक्सर पशुपालकों के मन में पशु के मद चक्र Liquor cycle को लेकर कई सवाल चलते रहते हैं. मसलन, पशु का हीट में आने का सही समय क्या है. कब उसे गाभिन कराना चाहिए आदि. एक्स्पर्ट का कहना है कि गाय-भैंस में गर्मी के लक्षण तब नहीं दिखते जब उनकी उम्र बहुत ज्यादा हो जाती है. वहीं कई बार पशुओं की खुराक में प्रोटीन, मिनरल्स, और पानी की कमी होने पर भी ये समस्या रहती है. हालांकि पशुओं के हीट में आने के बाद उसे समय रहते गाभिन करा देना चाहिए.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अगर गाय-भैंस दो से ढाई साल में हीट पर नहीं आती, तो दो-तीन महीने और इंतजार कर लेना चाहिए. कभी-कभी इसमें देर हो जाती है. हालांकि इतने दिन के इंतजार के बाद तुरंत पशु की जांच करानी चाहिए. हो सकता है कि पशु को किसी तरह की बीमारी हो. आपको बता दें कि पहले हीट में पशुओं के मद चक्र पर मौसम का भी असर खूब रहता है. किसी मौसम में वो ज्यादा हीट में आती हैं तो कभी नहीं आती हैं. आइए इसके बारे में भी यहां जानते हैं.
कब सबसे ज्यादा हीट में आती है गाय
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि वैसे तो साल भर पशु गर्मी में आते रहते हैं लेकिन पशुओं के मद चक्र पर मौसम का प्रभाव भी देखने में आता है. जैसे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में वर्ष 1990 से 2000 तक किये गये कृत्रिम गर्भाधान में एक विश्लेषण के अनुसार ये पता चला था कि जून माह में सबसे अधिक 11.1 फीसद गायें गर्मी में देखी गयीं. जबकि सबसे कम 6.71 फीसदी गायें अक्टूबर महीने में मद में पायी गयीं. प्रजनन के मद्देनजर गायों में सबसे अच्छा हीट का वक्त मई-जून-जुलाई रहता है. जिसमें 29.74 फीसद गायों को मद में देखा गया. जबकि सितम्बर, अक्बटूर और नवम्बर में सबसे कम 21.9 फीसदी गायें गर्मी में थीं.
भैंस का क्या था रिजल्ट
भैंसों में ऋतुओं का प्रभाव बहुत अधिक पाया जाता है. मार्च के महीने से अगस्त तक छह माह की अवधि में जिसमें दिन बड़ा होता है. 26.17 फीसद भैंस मद में रिकार्ड की गयी हैं. जबकि बाकी छह माह सितम्बर से फरवरी की अवधि में जिसमें दिन छोटे होते हैं. बाकी वर्ष की तुलना में 73.83 फीसदी भैंसें गर्मी में पायी गयीं हैं. गायों के विपरीत भैंसों में मई-जून-जुलाई प्रजनन के हिसाब से सबसे खराब रहता है. जिसमें 11.11 फीसदी भैंसें गर्मी में देखी जाती हैं. जबकि अक्टूबर-नवम्बर-दिसम्बर में 44.13 फीसद भैंसों को मद में रहीं.
सांइटिफिक तरीके से कम करें असर
एक्पर्ट का कहना है कि पशु प्रबन्धन में सुधार करके तथा पशुपालन में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर पशुओं के प्रजनन पर मौसम के बुरे असर को जिससे पशु पालकों को बहुत नुकसान होता है, काफी हद तक कम किया जा सकता है.
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