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Fisheries: तालाब में क्यों डाला जाता है गोबर और चूना, यहां जानें

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मछली पकड़ते मछुआरे (फोटो CMFRI)

नई दिल्ली. जिस तरह से खेतों में किसान खाद बीज डालकर उसमें फसल उगाते हैं, इसी तरह से तालाब—पोखरे में भी मछली पालन करने वाले मछली पलकों को मछलियों के लिए खाद डालनी होती है. तभी मछली पालन में सफलता मिलती है. मछली पालन के लिए बीज डालने से पहले तालाब को साफ करना जरूरी होता है. तालाब से सभी जालीय पौधे, मछलियां, छोटी मछलियां हटानी होती हैं. बेहतर यह है कि मजदूर लगाकर जालीय पौधों को साफ किया जाए. इस बात पर ध्यान रखा जाए कि दोबारा आ जाएं. भूखी और बेकार मछलियों को खत्म करने के लिए तालाब को पूरी तरह से सुखा देना चाहिए या फिर जहर का भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके लिए एक एकड़ तालाब में 1000 किलोग्राम महुआ खली डालने से दो-चार घंटे मछलियां बेहोश होकर तालाब की सतह पर आ जाती हैं. प्रति एकड़ 200 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर पानी में डालने से भी बेकार मछलियों को मारा जाता है. पानी में इसका असर 10 से 15 दिन तक रहता है.

गोबर को तालाब के किनारे डाल दें
वहीं तालाब में मछली का जीरा छोड़ने से पहले गोबर जरुर डाल देना चाहिए साथ ही चुने का भी छिड़काव करना चाहिए. तालाब में 400 किलोग्राम प्रति एकड़ दर से कच्चा गोबर या सड़ी हुई खाद मिलनी चाहिए. ये मात्र एक बार में नहीं बल्कि हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तालाब में डालनी चाहिए. शुरू में 800 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से गोबर डालना चाहिए. इसके बाद 400 प्रति किलो प्रति ग्राम हर महीने गोबर डालना उचित होगा. खली का उपयोग किया गया है तो शुरू में दिए जाने वाले गोबर की मात्रा आधी हो जाएगी. हर माह डाले जाने वाले गोबर की मात्रा को तालाब के किसी किनारे पर जमा करना बेहतर होता है.

चूना कितना डाला जाए
तालाबों में चूना डालना बहुत जरूरी है. खासकर झारखंड राज्य में स्थित तालाबों में, क्योंकि वहां की मिट्टी अमलीय है और अच्छी मछली उत्पादन के लिए पानी थोड़ा क्षरीय होना चाहिए. तब तालाब सूख गया हो या सारी बेकार मछलियां बाहर निकाल दी गईं हों तो 200 किलोग्राम की दर से बारीक चूर्ण चूने का उपयोग करना जरूरी होता है. जो तालाब बहुत छोटा है और उसमें अधिक समय तक पानी नहीं रहता है, उसमें बड़ी मछली पैदा करना संभव नहीं है लेकिन यदि जीरा मछली के उत्पादन के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाए तो अच्छा उत्पादन मिल सकता है. एक किसान 25 डेसिमल तालाब में एक बार में यानी 15 से 20 दिन में 5000 और साल में तीन-चार फसल करके 15000 से 20000 तक कमा सकता है.

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